किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी कौन कर सकता है कब और किन किन आधारों पर की जा सकती है

किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी कौन कर सकता है || गिरफ्तारी कब और किन किन आधारों पर की जा सकती है ?

व्यक्ति या व्यक्तियों की गिरफ्तारी (गिरफ्तारी पर कानून) का सर्वमान्य व कानून सम्मत अर्थ यही है कि व्यक्ति को अपने अधिकार या कब्जे में ले लेना । पुलिस तो ऐसा कर सकती है लेकिन कुछ कानूनी प्रावधानों के अधीन सामान्य नागरिक भी संगीय अपराध य  अजमानती अपराध के अपराधी को अपने कब्जे में य अधिकार में ले सकता है । पुलिस द्वारा गिरफ्तारी दो तरह से होती है । एक वारंट के आधार पर और दूसरी बिना वारंट के । संगीय  अर्थात खतरनाक एवं संगीन अपराधों के लिए वारंट द्वारा गिरफ्तारी की जाती है । गिरफ्तारी के संबंध में कानूनी स्थिति विभिन्न शिर्षको के आधार पर इस तरह से समझा जा सकती है । (किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी कौन कर सकता है गिरफ्तारी कब और किन किन आधारों पर की जा सकती है)




पुलिस द्वारा वारंट के बिना गिरफ्तारी

  • उस व्यक्ति को जो खतरनाक संगीय अपराध से संबंधित रह चुका है, खतरनाक और संगीन जुर्म के लिए उस पर पहले कोई मुकदमा चला हो । उसके बारे में विश्वास योग्य सूचना या उचित संदेह हो कि वह ऐसे संघीय अपराध से जुड़ा हुआ था । (गिरफ्तारी पर कानून)
  • ऐसे व्यक्ति को जो अपने कब्जे में गैरकानूनी ढंग से ऐसा कोई हथियार उपकरण या औजार रखता हो जिससे गृह भेदन संभव हो ।
  • ऐसा व्यक्ति जो गृह भेदन का अपराधी घोषित किया जा चुका हो ।
  • उस व्यक्ति को जिसके अधिकार से चुराई गई संपत्ति बरामद हो । जिस पर चुराई गई संपत्ति रखने का उचित संदेह हो । जिस पर चोरी करने का उचित संदैह हो ।
  • जो व्यक्ति पुलिस अधिकारी को उसके विधिक कार्य में बाधा पहुंचाई जो हिरासत से पहले निकल भागा है, या विधिक हिरासत से भागने का प्नरयत्न कर रहा हो ।
  • जो विदेश में रहते हुए ऐसा कार्य कर चुका हो जो भारत में गुनाह या अपराध हो ।
  • जो भारत में प्रत्यर्पण संधि के अधीन कानून के अनुसार हिरासत में लिया जाना हो इसके विषय में ऐसा मुकदमा कायम हो चुका है, या जिस पर उचित संदेह हो कि वो न्यायिक अभिरक्षा के लिए जाने का भागी हो ।
  • जो धारा 356 की उप धारा 5 के अधीन बनाए गए कानून को तोड़ता है ।
  • उस व्यक्ति को जिसके बारे में किसी दूसरी पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक सूचना प्राप्त हो चुकी है । और उस सूचना में गिरफ्तार किए जाने वाले उस व्यक्ति के अपराध का विवरण भी है सूचना स्पष्ट करती हो कि उस व्यक्ति को कानून के अनुसार गिरफ्तार किया जा सकता है ।

नाम वा निवास स्थान बताने से इंकार करने पर गिरफ्तारी  (गिरफ्तारी पर कानून)

    • पुलिस व्यक्ति की मौजूदगी में असंगीय अपराध का अभियोग यदि पूछने पर नाम व पता बताने से इंकार करता है, या झूठा नाम बताता है । जिसके मिथ्या होने का पुलिस को उचित शक हो, तो ऐसे शख्स को इस उद्देश्य से गिरफ्तार किया जा सकता है । ताकि उसका नाम और निवास के विषय में पूरी सही जानकारी प्राप्त की जा सके ।
    • सही नाम और सही निवास की सत्य प्रमाणित जानकारी लेने के पश्चात व्यक्ति विधिक वर्जन पूर्ण करने पर रिहा कर दिया जाएगा ।
    • मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित किए जाने की कानूनी अपेक्षा होने पर उसे मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा ।
    • यदि वह विदेशी नागरिक है तो भारतीय निवासी के बंध पत्र पर रिहाई हो सकती है ।
    • यदि गिरफ्तारी के 24 घंटों के अंदर उसका सही नाम पता ना जाना जा सके और ना ही बंद पत्र व प्रतिभूति ने में वह व्यक्ति असफल रहे, तो उसे निकटतम मजिस्ट्रेट के पास तत्काल भेज दिया जाएगा ।

प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी

  • प्राइवेट व्यक्ति द्वारा ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी संभव है जो उसकी उपस्थिति में अजमानतिय व संगीय अपराध करता है प्राइवेट व्यक्ति उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जो इस तिहारे मुजरिम के रुप में गिरफ्तार किया जाता है । लेकिन प्राइवेट व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह कब्जे में लिए गए व्यक्ति को पुलिस के सुपुर्द करेगा या उसे थाने ले जाएगा या थाने भिजवा देगा ।
  • इसमें वह अनावश्यक विलंब नहीं करेगा यदि मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में व्यक्ति अपराध कर रहा हो ।
  • यदि मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र के अंदर कोई अपराध किया जाए कार्यपालक मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में या अपने अधिकार क्षेत्र के लिए हुए अपराध के लिए गिरफ्तारी आदेश दे सकते हैं ।
  • गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट अपराधी की गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं ।

गिरफ्तारी निषेध

संघ के सशस्त्र बलों का कोई भी व्यक्ति अपने कर्तव्य निष्पादन के किसी भी कार्य को करने की वजह से अथवा संभावित कर्तव्य कार्य के निर्वहन कि किसी भी कार्यवाही के लिए तब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, जब तक की गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार की सहमति न प्राप्त हो जाए  । राज्य सरकार अधिसूचना में सुरक्षा बल के वर्ग यात्रा वर्ग के सदस्यों के विषय में आदेश दे सकती है । आदेश के अधीन सशस्त्र बलों का कोई भी व्यक्ति लोक व्यवस्था बनाए रखने के कार्य को करते हुए गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, जब तक कि राज्य सरकार की सहमति प्राप्त ना कर ली जाए ।



किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी कौन कर सकता है || गिरफ्तारी कब और किन किन आधारों पर की जा सकती है ?

Read This

किसी अचल संपत्ति को किसे और कैसे दान किया जा सकता है || How to Gift Immovable Property and To Whom

एस्मा कानूनक्या है कैसे लागू होता है || एम्सा कानून की पूरी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला एक कैदी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला

मरीज का गलत ईलाज डाॅक्टर की लापरवाही नही सुप्रीम कोर्ट का फैसला || Latest Supreme Court Judgements on Medical Negligence

 Love Marriage Police Protection || हाई कोर्ट ने लव मैरिज करने वालों को दी ऐसी प्रोटेक्शन अहम फैसला

Is IPC 307 Bailable || IPC धारा 307 मे समझौता होने से केस खतम नही होगासुप्रीम कोर्ट 

Supreme Court Judgement on Love Marriage Police Protection | Right To Choose Life Partner Is A Fundamental Right. 

महिलाओं के लिए बने कानून और विशेष अधिकार | Women Protection and Rights in India in Hindi

Powers of IAS Officer and IPS Officer | IAS vs IPS Officer | IPS & IAS Officers Facility & Duties

Post a Comment

0 Comments