दूसरी पत्नी भी पति पर कर सकती है दहेज केस हाई कोर्ट

दूसरी पत्नी भी पति पर कर सकती है दहेज केस हाई कोर्ट






हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार, विवाह को वैध बनाने के लिए विवाह के समय किसी भी पक्ष के पास जीवित जीवनसाथी नहीं होना चाहिए। इसका तात्पर्य यह है कि यदि पहली पत्नी जीवित है, तो किसी अन्य महिला के साथ विवाह वैध नहीं माना जाता है और इसलिए, ऐसी 'दूसरी पत्नी' आईपीसी की धारा 498 ए के तहत शिकायत नहीं कर सकती है, अदालत ने कहा कि ऐसी शादी कानून की नजर में शादी शून्य और अमान्य है।

इस संबंध में, न्यायालय ने शिवचरण लाल वर्मा और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह माना गया था कि यदि विवाह स्वयं अमान्य है तो कथित पत्नी के कहने पर पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 498-ए के तहत मुकदमा चलाने योग्य नहीं है।

कोर्ट ने फैसले में आगे कहा, जहां तक डीपी एक्ट की धारा 3/4 के तहत अपराध का सवाल है, अदालत ने कहा कि इन धाराओं का मुख्य तत्व किसी भी व्यक्ति द्वारा दहेज देना, लेना या मांगना है और अधिनियम की धारा 2 के अनुसार, दहेज शादी के पहले या बाद में दिया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि दहेज के लिए विवाह का होना आवश्यक नहीं है, यहां तक कि विवाह अनुबंध भी पर्याप्त है।



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