पुलिस शिकायत दर्ज करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण कदम
शिकायत क्या है और इसका महत्व – What is Complaint and its Importance
शिकायत (Complaint) का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा कुछ चीजों/तथ्यों को जो उसके साथ गलत हुई है बताने के लिए व्यक्त की गई शिकायत। कोई भी व्यक्ति जिसे किसी भी प्रकार की शिकायत (Complaint) है, वह स्थानीय क्षेत्राधिकार के थाने में जाकर शिकायत (Complaint) कर सकता है। शिकायत सार्वजनिक होने के साथ-साथ निजी भी हो सकती है। कोई भी व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है और यह आवश्यक नहीं है कि केवल एक पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत (Complaint) दर्ज कराए ।
कई बार देखा गया है कि बलात्कार के मामलों में पीड़िता अक्सर तनाव और डर के कारण शिकायत दर्ज कराने की स्थिति में नहीं होती है। ऐसे मामलों में, माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि जैसी घटना की जानकारी रखने वाले किसी भी व्यक्ति को शिकायत दर्ज करने की अनुमति है। एक आपराधिक मामला प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने से शुरू होता है। यह आपराधिक कार्यवाही में पहला चरण है। इसलिए, पूरे मामले में शिकायत के महत्व को कभी भी नाकारा नहीं जा सकता है।
कई बार यह देखा जाता है कि कोई व्यक्ति अपनी शिकायत में सभी तथ्यों का ठीक से उल्लेख नहीं करता जिसके कारण बाद न्याय पाने में बहुत देरी होती है या नहीं मिल पाता या फिर इस तरह के मामले अदालतों द्वारा खारिज कर दिया जाता है। इस तथ्य से जुड़े कई कारण हैं कि क्यों कभी-कभी वास्तविक शिकायतें भी कानून की अदालत में विफल हो जाती हैं। ऐसा होने का एक कारण यह भी है कि कई बार ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी शिकायत दर्ज कराते समय खुद घटना स्थल पर जाँच पड़ताल नहीं रहते। और दूसरा यह की आम तौर पर जनता महत्वपूर्ण और जरुरी तथ्यों को छोड़कर फालतू के तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर देते है।
शिकायत कहा दर्ज होगी – Where to file the Complaint
मुखबिर या शिकायतकर्ता को उस क्षेत्र (जहां पर अपराध किया गया है) अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस थाने में जाना चाहिए और प्रभारी अधिकारी को रिपोर्ट करना चाहिए। यदि सूचना फ़ोन पर दी जाती है तो सूचना देने वाले/शिकायतकर्ता को बाद में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पुलिस थाने में जाना चाहिए।
शिकायत किसके पास दर्ज होगी ? – To whom will the complaint be lodged?
जब आप अपने नजदीकी थाने में जाकर अपनी शिकायत (Complaint) दर्ज करना चाहते है और वह पर ड्यूटी अफसर मौजूद न हो तो कागजी कार्रवाई (शिकायत, एफआईआर) करवाने के लिए, उस समय पुलिस स्टेशन में उपलब्ध सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, (जो एसएचओ या एक कांस्टेबल के पद से ऊपर की पोस्ट के होंगे) उन्हें ही प्रभारी अधिकारी माना जायेगा।
यदि एसएचओ/इंस्पेक्टर मौजूद नहीं है, तो एक सब-इंस्पेक्टर या हेड कांस्टेबल प्रभारी अधिकारी होगा, जो शिकायत (Complaint) पर काम करेगा या प्राथमिकी दर्ज करेगा।
अगर पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दे तो क्या करें?- Police Station refuses to register the FIR?
सभी संज्ञेय अपराधों में पुलिस स्टेशन की ओर से प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है। हालांकि, अगर पुलिस स्टेशन प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार करता है, तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से शिकायत की जाएगी। संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक एफआईआर दर्ज कराएंगे और जांच कराएंगे।
FIR दर्ज करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें – Important things to keep in mind while registering FIR
- इसे तुरंत दायर किया जाना चाहिए। यदि कोई विलम्ब हो तो उसका उल्लेख प्रपत्र में करें।
- यदि मौखिक रूप से दिया जाता है, तो इसे लिखित रूप में लिया जाना चाहिए और आपको उस पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी द्वारा समझाया जाना चाहिए, जिसके अधिकार क्षेत्र में अपराध हुआ है।
- जब आप प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखवाये उसमे इधर उधर की बातें न लिखे सिर्फ मुद्दे की बात लिखे।
- इसकी चार प्रतियां दर्ज की जानी चाहिए।
- जटिल, तकनीकी शब्दावली और अनावश्यक विवरण से बचें।
- शब्दों को ओवरराइट या स्कोर आउट न करने का प्रयास न करें।
- सुनिश्चित करें कि आगमन/प्रस्थान के समय का उल्लेख पुलिस स्टेशन में एफआईआर और दैनिक डायरी (डीडी) रजिस्टर में किया गया है या नहीं।
- इसमें ये सभी जानकारी होनी चाहिए:
– सुनिश्चित करे आप क्या जानकारी देना चाहते हैं?
– आप किस हैसियत से जानकारी दे रहे हैं?
– अपराध करने वाला अपराधी कौन है?
– वह अपराध किसके खिलाफ किया गया है
– अपराध कब (समय) हुआ था?
– यह अपराध कहां किया गया था (विशिष्ट स्थान/इलाके/क्षेत्र)?
– क्या कोई गवाह थे? (यहां नामों की आवश्यकता होगी।)
– इस अपराध से क्या नुकसान हुए? (पैसा/मूल्यवान/संपत्ति/शारीरिक क्षति आदि)
– अपराध स्थल पर क्या निशान थे? (यानि की हथियार/सबूत यदि कोई हो।) - शिकायत (Complaint) लिखने के बाद, आपको दस्तावेज़ को ध्यान से पढ़ना चाहिए और उस पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
- इसे अधिकारी द्वारा रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया जाना चाहिए।
- आपको अपने रिकॉर्ड के लिए इसकी एक प्रति प्राप्त करने का अधिकार है। आपको उसके लिए भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।
- कभी भी झूठी शिकायत (False Complaint) दर्ज न करें या पुलिस को गलत जानकारी न दें। गलत जानकारी देने या पुलिस को गुमराह करने के लिए आप पर कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।—[धारा 203, भारतीय दंड संहिता 1860]
तो इस तरह से कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत को पुलिस स्टेशन में एफ आई आर दर्ज करवा सकता है। किसी भी FIR करते वक्त इन सभी बातो को ध्यान में रखना जरुरी होता है।
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