इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय: चेक बाउंस होने पर अपराध कब पूर्ण होता है

इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय: चेक बाउंस होने पर अपराध कब पूर्ण होता है?





इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक बाउंस (Cheque Bounce) से संबंधित अपराध की पूर्णता के बारे में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इस निर्णय में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि चेक बाउंस के मामले में अपराध तब पूर्ण होता है, जब निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं:


चेक बाउंस के अपराध की पूर्णता की शर्तें:


1. चेक का बाउंस होना (Dishonour of Cheque):

   सबसे पहले, चेक को बैंक द्वारा बाउंस किया जाता है। यह तब होता है जब चेक का भुगतान इंसाफ से ज्यादा राशि होने या खाता में पैसे न होने के कारण किया नहीं जाता। जब चेक बाउंस होता है, तो यह अपराध का पहला चरण होता है।


2. धारक को सूचना भेजना (Notice to the Drawer):

   इसके बाद, चेक बाउंस होने के बाद, धारक (Payee) को 15 दिन के भीतर ड्रॉअर (Drawer) को एक कानूनी नोटिस भेजना आवश्यक होता है। यह नोटिस यह बताता है कि चेक क्यों बाउंस हुआ और उसे पैसा चुकता करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है। यदि ड्रॉअर इस अवधि में भुगतान नहीं करता है, तो कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है।


3. 15 दिन का समय समाप्त होना (Failure to Pay within 15 Days):

   अगर ड्रॉअर को नोटिस प्राप्त होने के बाद भी वह 15 दिनों के भीतर चेक की राशि का भुगतान नहीं करता, तो चेक बाउंस का अपराध पूर्ण माना जाता है और धारक (Payee) आपराधिक मुकदमा दायर कर सकता है। 


4. कानूनी कार्यवाही (Filing the Complaint):

   यदि चेक बाउंस होने के बाद 15 दिन के अंदर कोई भुगतान नहीं किया जाता, तो धारक अदालत में मुकदमा दायर कर सकता है । यह मुकदमा भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत नहीं बल्कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (Negotiable Instruments Act) के तहत होता है। यह अपराध धारा 138 के तहत दायर किया जाता है और इसमें सजा और जुर्माना हो सकता है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस विषय पर अपनी स्पष्टता दी कि अपराध तब पूरा होता है, जब नोटिस भेजे जाने के बाद 15 दिनों की समय सीमा समाप्त हो जाती है और आरोपी भुगतान नहीं करता है। इसके बाद ही इस पर कानूनी कार्यवाही शुरू की जाती है और अपराध की पूर्णता मानी जाती है।


निष्कर्ष:

चेक बाउंस का अपराध तब पूरा माना जाता है जब:

1. चेक बाउंस हुआ।

2. नोटिस भेजा गया।

3. 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया गया।

4. इसके बाद कानूनी कार्यवाही शुरू की जाती है।


इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि चेक बाउंस का अपराध केवल तब पूरा होता है जब इन कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा किया जाता है, और यदि ड्रॉअर भुगतान में विफल रहता है, तो धारक के पास अदालत जाने का अधिकार होता है। 

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