बाल कल्याण समिति से आप क्या समझते है समिति की शक्ति एवं प्रक्रियाओं का उल्लेख कीजिये child welfare committee

 बाल कल्याण समिति से आप क्या समझते है समिति की शक्ति एवं प्रक्रियाओं का उल्लेख कीजिये।What do you understand by the child welfare committee? Explain the power and procedures of committee.


बाल कल्याण समिति से आप क्या समझते है



बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee)-किशोर न्याय अधिनियम की धारा 29 में बाल कल्याण समिति के गठन पर प्रकाश डाला गया।
 

धारा 29 की उपधारा (1) के अनुसार

 
राज्य सरकार शासकीय गजट में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिले अथवा जिलों के समूह के लिये जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट हो इस अधिनियम के अधीन बच्चें की देखभाल एवं संरक्षण के लिये बाल कल्याण समिति गठित करेगी जो ऐसी शक्तियों एवं कर्तव्यों के निर्वहन से युक्त समझी जायेगी जो इसे अधिनियम के द्वारा दिया गया हो ।
उपधारा (2) के अनुसार
राज्य सरकार शासकीय गजट में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिले अथवा जिलों के समूह के लिये जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट हो, इस अधिनियम के अधीन बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लिये बाल कल्याण समिति गठित करेगी जो ऐसी शक्तियों एवं कर्तव्यों के निर्वहन से युक्त समझी जायेगी जो उसे अधिनियम के द्वारा दिया गया हो।

उपधारा (2 ) के अनुसार


समिति में एक सभापति एवं चार सदस्य होंगे जैसा कि राज्य सरकार उनकी नियुक्ति के विषय में उचित समझे। इनमें एक महिला सदस्य होंगे एवं दूसरा व्यक्ति बच्चों से संबंधित विषयों का विशेषज्ञ होगा।

उपधारा (3) के अनुसार

समिति के सभापति एवं सदस्यों की वही योग्यता होगी जो अधिनियम में उपबंधित है। 
धारा 29 की उपधारा (4) के अनुसार
किसी सदस्य की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा संचालित जांच कार्यवाही के पश्चात् समाप्त कर दी जायेगी यदि-
i) यदि उसने अधिनियम के अधीन प्रदत्त शक्तियों का दुरूपयोग किया है;
ii) वह ऐसे अपराध के लिये दोषसिद्ध दिया गया हो जिसमें नैतिक अक्षमता शामिल हो और ऐसी दोषसिद्धि उलट न दी गयी हो अथवा ऐसे अपराध के लिये पूर्ण क्षमा न दे दी गयी हो।
iii) वह विधिमान्य कारण के समिति के उत्तरवर्ती तीन महीने की कार्यवाहियों में शामिल न हुआ हो अथवा वर्ष में समिति के तीन-चौथाई से भी कम बैठक में शामिल न हुआ हो।

उपधारा 5 के अनुसार

समिति के कार्य मजिस्ट्रेटों के पीठ के रूप में होगा और दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 द्वारा वे शक्तियां प्रदान की गयी है जो यथास्थिति मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट अथवा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को प्राप्त है।
समिति की कार्यवाही (Procedure in relation to Committee)
समिति की कार्यवाही के विषय में अधिनियम की धारा 30 में उपबन्ध किया गया है। धारा 30 की उपधारा (1) के अनुसार समिति अपनी बैठकों को उस समय आहूत करेगी एवं कृत्य के संव्यवहारों से संबंधित प्रक्रिया के नियमों का प्रेक्षण ऐसे समय करेगी जो इस निमित्त उपबन्धित हो।
उपधारा (2) के जब समिति सत्र में हो तो उस समय बच्चे की अभिरक्षा सुरक्षा की दृष्टि से किसी अभिव्यक्ति सदस्य को सौंपी जायेगी यह बच्चे की देखभाल एवं संरक्षण हेतु आवश्यक है।
उपधारा 3 के अनुसार-किसी अंतरिम निर्णय के सन्दर्भ में यदि समिति के सदस्यों के मत में भिन्नता है तो ऐसी स्थिति में बहुमत का निर्णय मान्य होगा किन्तु
जहां ऐसे बहुमत का अभाव है वहां सभापति की राय मान्य होगी। 

उपधारा 4 के अनुसार-उपधारा (1) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए समिति के किसी सदस्य के अनुपस्थित होते हुए भी समिति अपना कार्य करेगी और समिति का कोई आदेश इस आधार पर अविधिमान्य न होगा कि किसी प्रक्रम पर कार्यवाही के दौरान समिति का सदस्य अनुपस्थित था।

समिति की शक्तियाँ (Powers of Committee)


समिति की शक्तियों के बारे में अधिनियम की धारा 31 में उपबन्ध किया गया है। धारा 31 की उपधारा (1) के अनुसार-समिति किसी बच्चे की देखभाल.
संरक्षा विकास एवं उसके पुनर्वास आदि के विषय में मामलों का अंतिम रूप में निस्तारण करने वाला प्राधिकारी है साथ ही बच्चे की आधारभूत आवश्यकताओं, मानवाधिकारों के संरक्षण के सन्दर्भ में भी उसका निर्णय अन्तिम होगा। 
धारा (2 ) के जहां कोई समिति किसी क्षेत्र के लिये गठित की गयी है ऐसी समिति को, तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुये भी किन्तु जो अधिनियम द्वारा अन्यथा रूप में स्पष्टत: उपबंधित न हो, बच्चों की देखभाल एवं संरक्षा के लिये अधिनियम के किसी कार्यवाही को संचालित करने की शक्ति है।
 

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