Code of Criminal Procedure (Crpc) Section 50 - Person arrested to be informed of grounds of arrest and of right to bail

Code of Criminal Procedure Section 50 – Person arrested to be informed of grounds of arrest and of right to bail

 

नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम जानेंगे दंड प्रक्रिया सहिंता की धारा 50 के बारे में, जिस तरह हमें पता है की भारत में आम व्यक्तियों को मौलिक अधिकार मिले हुए है जो उसे जीवन को जीने के लिए आवश्यक है। आम इंसान ही नहीं अगर किसी व्यक्ति को वारेंट के साथ या बिना वारंट गिरफ्तार किया जाता है चाहे वो अप्रति हो या न हो, कानून ने उसे भी कुछ अधिकार दिए हुए है। Crpc Section 50 उन्ही अधिकारों की बात करता है। 

 

Crpc Section 50. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और जमानत के अधिकार की जानकारी दी जाना-

 

(1) किसी व्यक्ति को वारप्ट के बिना गिरफ्तार करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति को उस अपराध की, जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है, पूर्ण विशिष्टियाँ या ऐसी गिरफ्तारी के अन्य आधार तुरंत संसूचित करेगा।


(2) जहाँ कोई पुलिस अधिकारी अजमानतीय अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति को वारण्ट के बिना गिरफ्तार करता है वहाँ वह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इत्तिला देगा कि वह जमानत पर छोड़े जाने का हकदार है और वह अपनी ओर से प्रतिभुओ का इन्तजाम करे।

टिप्पणी- Crpc Section 50

 

यह धारा (Crpc Section 50) गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को दो महत्वपूर्ण संरक्षण प्रदान करती

 

(1) प्रथम, जहाँ किसी व्यक्ति को वारण्ट के बिना गिरफ्तार किया गया हो, वहाँ उसे गिरफ्तारी के कारणों से तुरेन्त अवगत कराया जायेगा; एवं

(ii) द्वितीय, यदि गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति जमानतीय अपराध का अभियुक्त है तो उसे इत्तिला दी जायेगी कि वह जमानत पर छोड़े जाने का अधिकारी है और वह प्रतिभुओं की व्यवस्था करे।

यह एक संवैधानिक व्यवस्था है जिसका उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 में किया गया है। इसके अनुसार गिरफ्तार किये गये व्यक्त को गिरफ्तार किये जाने के कारणों से शीघ्र अवगत कराया जायेगा। जहाँ ऐसे कारण दर्शित करने में किसी प्रकार का विलम्ब किया जाता है, वहाँ ऐसे विलम्ब का औचित्य सिद्ध करना होगा। फिर कारण जानने का यह अधिकार उस समय भी बना रहता है जबकि निरुद्ध व्यक्ति को जमानत पर छोड़े जाने की उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया गया हो “

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