IPC 44 in Hindi | Indian Penal Code Section 44 in Hindi | Dhara 44 IPC Kya Hai

Indian Penal Code Section 44 in Hindi | Dhara 44 IPC Kya Hai | IPC 44 in Hindi

 

मानव की क्षति (IPC 44 in Hindi, Injury to human being)– भारतीय दण्ड संहिता की धारा 44 द्वारा परिभाषित क्षति’ शब्द किसी इस प्रकार की हानि की द्योतक है, जो किसी व्यक्ति के शरीर, मन, ख्याति या सम्पत्ति को अवैध रूप से कारित हुई हो। क्षति किसी दूसरे व्यक्ति या किसी के शरीर अथवा सम्पूर्ण समाज को अवैध रूप से पहुँचायी गयी होनी चाहिये।

इस प्रकार हम पाते हैं कि किसी अपराध के चार आवश्यक तत्व होते हैं।

 

परन्तु यह नियम अपवादरहित नहीं है। इसके कुछ अपवाद भी हैं। कभी-कभी दोषी मनोभाव के अभाव में भी अपराध बन जाता है। ये कठोर दायित्व या पूर्ण दायित्व (strict liability) के मामले होते हैं। उदाहरण के लिये, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 के अन्तर्गत द्विविवाह का अपराध। कुछ मामलों में आपराधिक कृत्य यद्यपि पूर्ण न हआ हो अर्थात् किसी व्यक्ति को क्षति न हुई हो फिर भी अपराध गठित हो जाता है। ये प्रारम्भिक (inchoate) अपराध के मामले हैं।

उदाहरण के लिये, प्रयत्न (attempt), दुष्प्रेरण (abetment) और षड्यंत्र (conspiracy)। इसके अतिरिक्त ऐसा भी अपराध हो सकता है जिसमें न आपराधिक कृत्य हो और न ही किसी व्यक्ति को क्षति। ये गम्भीर अपराध के मामले हैं जिन्हें समाज में शान्ति बनाये रखने के उद्देश्य से राज्य घटना घटित होने के पूर्व ही अपने नियंत्रण में ले लेता है। निरोधक कार्यवाही के तहत इन्हें अपराध घोषित किया जाता है। उदाहरण के लिये, दण्ड संहिता की धारा 399 के अन्तर्गत डकैती डालने के लिये तैयारी करना तथा धारा 402 के अधीन डकैती डालने के उद्देश्य से इकट्ठा होना।


IPC 44 in Hindi “क्षति“-” क्षति” शब्द किसी प्रकार की अपहानि का द्योतक है, जो किसी व्यक्ति के शरीर, मन, ख्याति या सम्पत्ति को अवैध रूप से कारित हुई हो।

क्षति के निम्नलिखित तत्व हैं- IPC 44 in Hindi

 

(1) किसी व्यक्ति को कोई क्षति कारित करना,
(2) ऐसी क्षति अवैध रूप से कारित हुई हो,
(3) क्षति शरीर, मन, ख्याति या सम्पत्ति से सम्बन्धित हो।

 

इस प्रकार क्षति को विस्तृत अर्थ प्रदान किया गया है तथा यह केवल शारीरिक क्षति या आर्थिक हानि तक ही सीमित नहीं है अपितु यह मन या ख्याति को होने वाली क्षति तक विस्तृत है। एक प्रकरण में पति की मृत्यु ही पत्नी के लिये क्षति माना गया। परन्तु एक दूसरे प्रकरण में इस प्रकरण को स्वीकार नहीं किया गया। पति की हानि पत्नी पर नुकसानदायक प्रभाव डालती है, शारीरिक रूप से न सही, मानसिक रूप से सही । अत: पत्नी के लिये हानि माना जाना चाहिये। पुलिस के समक्ष एक झूठा आरोप, सको न्यायालय में अभियोजन करने का कभी कोई आशय नहीं था, क्षति कारित करता है।

हबिले उल-रज्जा के वाद में

 

अभियुक्त शिकायतकर्ता के पशुओं को अपने साथ ले गया तथा तब तक छोड़ने से इन्कार कर दिया जब तक कि उसे कुछ रुपया न दिया जाये और रुपया दिये जाने पर उसने पशुओं को छोड़ दिया। यह निर्णीत हुआ कि अभियुक्त ने शिकायतकर्ता को क्षति कारित किया है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति को यह धमकी देना कि गदि वह देय धन से अधिक नहीं देगा तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जायेगी, अवैध है और इस धारा के अन्तर्गत क्षति है।

एक वर्ग द्वारा उन लोगों का सामाजिक बहिष्कार जो उनके साथ सहयोग करने से इन्कार करते हैं, इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत क्षति नहीं है। जहाँ नाइयों तथा धोबियों ने निश्चित किया कि जो लोग अच्छी खेती की सुविधाएं नहीं प्रदान करते हैं उनका कार्य नहीं किया जायेगा और उनके समुदाय के जो लोग उनका समर्थन नहीं करते हैं उनका बहिष्कार किया जायेगा, बहिष्कार क्षति नहीं माना जायेगा। इसी प्रकार उनके द्वारा दी गयी धमकी कि कुछ लोग नाइयों तथा धोबियों की सेवाओं से वंचित हो जायेंगे, संहिता की धारा 503 के अन्तर्गत दण्डनीय क्षति नहीं होगी। 

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