गारन्टी अनुबन्ध का खण्डन होने पर प्रतिभू अपने दायित्वों से मुक्त हो जाता है

गारन्टी अनुबन्ध का खण्डन होने पर प्रतिभू अपने दायित्वों से मुक्त हो जाता है समझाइये।




खण्डन से गारन्टीकर्त्ता की दायित्व मुक्ति (Discharge of surety by revocation)

(अ) गारन्टीकर्ता की सूचना पर खण्डन (Revocation by surety by giving a notice) – गारन्टी विशिष्ट अथवा लगातार हो सकती है। विशिष्ट गारन्टी एक विशिष्ट ऋण के लिए दी जाती है तथा उसका खण्डन नहीं किया जा सकता, किन्तु लेनदार को सूचना देकर भविष्य के व्यवहारों के लिए दी गई लगातार गारन्टी का किसी भी समय खण्डन किया जा के सकता है (धारा 130)। “
यह जानने के लिए कि गारन्टी का खण्डन सम्भव है अथवा नहीं, पहले यह देखना होगा कि सम्पूर्ण प्रतिफल किसी एक समय पर दिया जाता है, या कि वह कई भागों में समय-समय पर दिया जाता है। यदि प्रतिफल संपूर्ण है, तो गारन्टी का खण्डन नहीं किया जा सकता । यदि प्रतिफल कई भागों में दिया जाता है, तो लेनदार को सूचना देकर भविष्यकालीन व्यवहारों के लिए गारन्टी का किसी भी समय खण्डन किया जा सकता है।

(ब) नवीनीकरण से खण्डन (Revocation by novation) (धारा 62 ) – गारन्टी के नवीनीकरण का अर्थ है- गारन्टी के पुराने अनुबन्ध के स्थान पर नया अनुबन्ध करना । नया अनुबन्ध पुराने अथवा नये पक्षों के बीच हो सकता है तथा पुराने अनुबन्ध की समाप्ति नये अनुबन्ध का प्रतिफल होती है। ऐसी स्थिति में गारन्टी का मूल (पुराना) अनुबन्ध समाप्त समझा जाता है।

(स) मृत्यु से खण्डन (Revocation by death) – इसके विपरीत कोई अनुबन्ध न होने पर गारन्टीकर्ता की मृत्यु होने पर भविष्यकालिक व्यवहारों के लिए लगातार गारन्टी का खण्डन हो जाता है (धारा 131 ) । गारन्टीकर्त्ता की मृत्यु के बाद लेनदार एवं देनदार के बीच हुए किसी भी व्यवहार के लिए मृत गारन्टीकर्ता की सम्पत्ति का कोई दायित्व नहीं होगा, चाहे लेनदार को गारन्टीकर्ता की मृत्यु की सूचना हो, या न हो ।

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