किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति से सद्भावपूर्वक किया गया कार्य, जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं है - कोई बात, जो मृत्यु कारित करने के आशय से न की गई हो, किसी ऐसी अपहानि के कारण नहीं है जो उस बात से किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके फायदे के लिए यह बात सद्भावपूर्वक की जाए और जिसने उस अपहानि को सहने, या उस अपहानि की जोखिम उठाने के लिए चाहे अभिव्यक्त चाहे विवक्षित सम्मति दे दी हो, कारित हो या कारित करने का कर्त्ता का आशय हो या कारित होने की सम्भाव्यता कर्त्ता को ज्ञात हो ।
दृष्टान्त BNS Section 26
क, एक शल्य चिकित्सक, यह जानते हुए कि एक विशेष शल्यकर्म से य की, जो वेदनापूर्ण व्याधि से ग्रस्त है, मृत्यु कारित होने की सम्भावना है, किन्तु य की मृत्यु कारित करने का आशय न रखते हुए और सद्भावपूर्वक य के फायदे के आशय से य की सम्मति से य पर वह शल्यकर्म करता है । क ने कोई अपराध नहीं किया है। ।
टिप्पणी BNS Section 26
सामान्य नियम यह है कि मृत्यु जो एक आशय से कारित की गई है सहमति द्वारा कभी भी न्यायोचित नहीं ठहरायी जा सकती। किन्तु एक व्यक्ति जिसके लाभ के लिये कोई कार्य किया जाता है, अपनी सहमति दे सकता है कि दूसरा व्यक्ति वह कार्य करे भले ही मृत्यु सम्भाव्य हो, यद्यपि कर्ता का आशय कभी भी मृत्यु कारित करना नहीं था।
धारा 26 उन कार्यों को क्षमा करती है तो क्षतिग्रस्त व्यक्ति के फायदे के लिये हैं।
यदि एक व्यक्ति अपनी स्वतन्त्र तथा विवेकयुक्त सहमति एक आपरेशन के खतरे को उठाने हेतु देता है जो अधिकतर मामलों में घातक सिद्ध हुआ है तो डाक्टर जो आपरेशन करता है दण्डित नहीं होगा भले ही आपरेशन के फलस्वरूप मृत्यु हो जाये ।
इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति पर कोई जंगली जानवर प्रहार करता है और वह अपने दोस्तों को उस जानवर पर गोली चलाने को कहता है, यद्यपि उसकी अपनी जिन्दगी के लिये गभीर खतरा है फिर भी उन्हें दंडित करना उचित नहीं होगा, भले ही उनकी गोली से उसकी मृत्यु हो जाये तथा भले ही गोली चलाते वक्त उन्हें इस बात का आभास था कि उसकी मृत्यु सम्भाव्य है।
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