पति के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करना तलाक का आधार हाई कोर्ट






बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज करना क्रूरता है। वैवाहिक अधिकारों और पूर्व तलाक डिक्री से संबंधित एक अपील की समीक्षा करते हुए औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति वाईजी खोबरागड़े ने यह फैसला सुनाया।

पति ने बताया कि उसकी पत्नी ने उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कई झूठे आपराधिक और नागरिक मामले शुरू किए, जिससे काफी मानसिक परेशानी हुई। आरोपों में उनके पिता और भाई पर छेड़छाड़ का गंभीर आरोप भी शामिल था, जिससे बाद में उन्हें बरी कर दिया गया।


न्यायमूर्ति खोबरागड़े ने कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली या घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कार्रवाई जैसे कानूनी उपायों के लिए आवेदन करना स्वाभाविक रूप से क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ आधारहीन पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने में पत्नी की हरकतें इस सीमा को पार कर गईं। अदालत ने इन कृत्यों को क्रूरता का सूचक पाया और तलाक देने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और पत्नी को तलाक को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया ।

Read More 




Post a Comment

0 Comments