पति पत्नी की रोज की लड़ाई तलाक का आधार नही हाई कोर्ट
इस मामले में एक अपीलकर्ता शामिल था जिसे अपनी पत्नी को जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए आईपीसी की धारा 498ए और 323 के तहत दोषी ठहराया गया था। पत्नी ने शिकायत की थी कि दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित किया जा रहा था और अपीलकर्ता और उसकी मां ने उसकी हत्या करने का भी प्रयास किया था। हालाँकि, अदालत ने पाया कि इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई भौतिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया था।
दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं, अपीलकर्ता ने दावा किया कि ट्रायल कोर्ट आरोपों का समर्थन करने वाले सबूतों की सही से जांच नही कर पाया ।
हाई कोर्ट ने मामले की जांच के बाद पाया की पति नशे में कभी-कभी मारपीट करता था। परंतु उसने पैसों की डिमांड कभी नहीं की । मेडिकल रिपोर्ट जो पत्नी के द्वारा कोर्ट में पेश किए गए थे उसमें मामूली से कटने के निशान थे लेकिन लगातार हरासमेंट के निशान कहीं नहीं थे जिससे यह पता चल सके की पत्नी को लंबे समय से परेशान किया जा रहा था कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 498a को लागू करने के लिए ठोस सबूतों की जरूरत होती है। रोज की मामूली लड़ाई पर यह धारा लागू नहीं होती । यह कहकर हाई कोर्ट ने आईपीसी की धारा 323 को लागू रखा और आईपीसी की धारा 498a को रद्द कर दिया ।
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