आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला: "सहमति डिक्री के खिलाफ कोई अपील नहीं हो सकती" Andhra Pradesh High Court verdict: "No appeal lies against consent decree"
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया, जिसमें कहा कि "सहमति डिक्री" (Consent Decree) के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती है। इस फैसले के तहत, अगर दोनों पक्षों के बीच किसी मामले में आपसी सहमति से समझौता हुआ है और न्यायालय ने उसी समझौते के आधार पर डिक्री जारी की है, तो इसके खिलाफ अपील की अनुमति नहीं होगी।
क्या है सहमति डिक्री?
सहमति डिक्री वह स्थिति होती है, जब दोनों पक्ष किसी मामले को न्यायालय के बाहर आपसी सहमति से सुलझा लेते हैं और उस समझौते को न्यायालय अपनी डिक्री में बदल देता है। यह तब होता है जब दोनों पक्ष एक दूसरे के साथ मिलकर विवाद को हल करने के लिए तैयार होते हैं और न्यायालय में इसके बारे में लिखित सहमति प्रस्तुत करते हैं। इसे एक प्रकार से "सुलह डिक्री" भी कहा जा सकता है।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का निर्णय:
हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर किसी मामले में दोनों पक्षों की सहमति से समझौता किया गया हो और वही समझौता न्यायालय द्वारा डिक्री में बदला गया हो, तो वह डिक्री अंतिम मानी जाती है। सहमति डिक्री को अदालत की स्वीकृति के रूप में माना जाता है और इस पर अपील करने का अधिकार नहीं होता।
उदाहरण के रूप में:
माना कि एक दंपत्ति ने तलाक के मामले में आपसी सहमति से समझौता किया और दोनों ने यह निर्णय लिया कि वे एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे, साथ ही संपत्ति वितरण, बच्चों की कस्टडी आदि पर सहमति बनाई। इसके बाद, यह समझौता न्यायालय में पेश किया गया और न्यायालय ने इसे सहमति डिक्री के रूप में पारित कर दिया। यदि कोई पक्ष बाद में इस डिक्री के खिलाफ अपील करता है, तो अदालत ने कहा कि इस पर अपील की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह एक सहमति आधारित निर्णय था।
इस फैसले का महत्व:
यह फैसला न्यायालय के लिए यह स्पष्ट करता है कि यदि दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ है और उसी पर डिक्री दी गई है, तो न्यायालय का उद्देश्य है कि इस सहमति को कायम रखा जाए। इससे कोर्ट के समय और संसाधनों की बचत होती है और यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी पक्ष बिना उचित कारण के सहमति के निर्णय को बदलने की कोशिश न करें।
यह निर्णय यह भी बताता है कि सहमति डिक्री एक अंतिम और प्रतिबद्ध समझौता है, जिसका पालन करना जरूरी है और उस पर अपील करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता।
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