कोर्ट किन Grounds पर FIR रद्द कर सकती है , On what Grounds can the Court cancel the FIR

कोर्ट किसी FIR को कुछ विशेष परिस्थितियों (Grounds) में रद्द कर सकती है। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय को यह अधिकार दिया गया है कि वह "न्याय के हित" में FIR को रद्द कर सके।

नीचे दिए गए प्रमुख आधारों पर FIR रद्द की जा सकती है:


1. FIR झूठी या दुर्भावनापूर्ण (False or Malicious FIR):

  • यदि FIR झूठे तथ्यों पर आधारित हो या इसे प्रतिशोध (revenge) या व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण दर्ज किया गया हो।
  • यदि कोर्ट को यह लगे कि FIR का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति को परेशान करना है, तो इसे रद्द किया जा सकता है।

2. कोई अपराध नहीं बनता (No Prima Facie Case):

  • यदि FIR में दिए गए आरोपों के आधार पर अपराध नहीं बनता।
  • FIR का विवरण अगर किसी अपराध की कानूनी परिभाषा को पूरा नहीं करता है, तो कोर्ट इसे रद्द कर सकती है।

3. न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग (Abuse of Process of Law):

  • यदि FIR दर्ज करने का उद्देश्य कानून का दुरुपयोग करना हो।
  • न्यायिक प्रक्रिया को परेशान करने के लिए इस्तेमाल किया गया हो।

4. दोनों पक्षों में समझौता (Compromise Between Parties):

  • यदि मामला गैर-संज्ञेय और व्यक्तिगत प्रकृति का हो (जैसे वैवाहिक विवाद, दहेज का मामला, मानहानि) और दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया हो, तो FIR रद्द की जा सकती है।
  • गंभीर अपराधों (जैसे हत्या, बलात्कार) में यह आधार लागू नहीं होता।

5. अधिकार क्षेत्र का अभाव (Lack of Jurisdiction):

  • यदि FIR उस थाने में दर्ज की गई है जिसका घटना स्थल से कोई संबंध नहीं है।
  • घटना दूसरे राज्य या क्षेत्र में हुई हो, और FIR गलत थाने में दर्ज हुई हो।

6. FIR में पर्याप्त तथ्य नहीं (Insufficient Evidence in FIR):

  • यदि FIR में पर्याप्त तथ्य नहीं हैं या अपराध को साबित करने के लिए प्राथमिक रूप से कोई साक्ष्य नहीं है।
  • केवल संदेह या आरोपों के आधार पर दर्ज FIR को कोर्ट रद्द कर सकती है।

7. देरी से दर्ज FIR (Delay in Filing FIR):

  • यदि FIR अनावश्यक रूप से बहुत देरी से दर्ज की गई हो और इस देरी का कोई उचित कारण नहीं दिया गया हो।
  • अदालत मान सकती है कि यह मामला मनगढ़ंत या दुर्भावनापूर्ण हो सकता है।

8. कानून के तहत छूट (Exemption Under Law):

  • अगर आरोप किसी व्यक्ति के खिलाफ लगाए गए हैं जो कानून के तहत छूट (immunity) का पात्र है। उदाहरण के लिए:
    • सरकारी अधिकारी जिनके खिलाफ कार्रवाई से पहले उचित अनुमति नहीं ली गई हो।
    • कुछ विशेष मामलों में संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को छूट।

9. न्याय के हित में (In the Interest of Justice):

  • यदि FIR का रद्द होना न्याय के लिए आवश्यक है।
  • जैसे, मामला समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

10. वैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन (Violation of Legal Procedures):

  • यदि FIR दर्ज करते समय CrPC या अन्य प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।
  • जैसे कि, बिना शिकायतकर्ता की अनुमति के मामले दर्ज करना, या पुलिस द्वारा शक्ति का दुरुपयोग।

महत्वपूर्ण केस कानून (Case Laws):

  1. भजनलाल बनाम हरियाणा राज्य (1992):
    • सुप्रीम कोर्ट ने उन स्थितियों की सूची दी जिनमें FIR रद्द की जा सकती है।
  2. राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2017):
    • सुप्रीम कोर्ट ने 498A मामलों में झूठे आरोपों को रोकने के लिए गाइडलाइंस जारी कीं।
  3. State of Haryana vs. Bhajan Lal (1992 AIR 604):
    • FIR रद्द करने के लिए "दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों" को न्यायालय ने मान्यता दी।

FIR रद्द करने की प्रक्रिया:

  1. याचिका दायर करें:

    • FIR रद्द करने के लिए संबंधित उच्च न्यायालय (High Court) में धारा 482 CrPC के तहत याचिका दायर की जाती है।
  2. FIR की कॉपी संलग्न करें:

    • याचिका के साथ FIR की कॉपी, और झूठे या गलत होने का सबूत संलग्न करें।
  3. दोनों पक्षों को सुनवाई:

    • कोर्ट दोनों पक्षों को सुनती है और जांच करती है।
  4. निर्णय:

    • यदि कोर्ट संतुष्ट हो, तो FIR को रद्द कर दिया जाता है।

निष्कर्ष:

FIR को रद्द करना एक गंभीर कानूनी प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी निर्दोष व्यक्ति को परेशान न किया जाए, और कानून का दुरुपयोग न हो। FIR रद्द करने के लिए उपयुक्त साक्ष्य और कारण होना आवश्यक है।

अगर आप किसी विशेष मामले में सलाह चाहते हैं, तो अपनी स्थिति विस्तार से बताएं।

Post a Comment

0 Comments