कोर्ट में मुफ्त में वकील और कानूनी सहायता कैसे प्राप्त कर सकते हैं || How to Get Free Advocate and Legal Aid in Court

कोर्ट में मुफ्त में वकील और कानूनी सहायता कैसे प्राप्त कर सकते हैं || How to Get Free Advocate and Legal Aid in Court

यह सर्वमान्य तथ्य हैं कि अदालती मामलों में काफी धन खर्च करना पड़ता है । इंसाफ प्राप्त करने के लिए कोर्ट फीस देनी होती है । वकील को उसकी फीस देनी होती है । हर एक व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता कि वह इतनी खर्चीली न्यायिक व्यवस्था और उसके प्रोसीजर को पूरा कर सकें । इसके अलावा समाज में कमजोर वर्ग कि स्त्रियां और बच्चे कानूनी जानकारी के अभाव में अपने साथ हुए जुर्म के विरुद्ध न्याय प्राप्त करने की पहल पर नहीं कर पाते । क्योंकि हमारी न्याय व्यवस्था इतनी ज्यादा महंगी है कि ऐसा सोचने से ही उनका दिल घबरा जाता है । वह अपने साथ में हुये जुर्म के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाते ।(How to Get Free Advocate and Legal Aid in Court)

इस कारण हमारे देश में गरीब और बेसहारा व्यक्ति को कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रोविजन रखा गया है । कानून में प्रत्येक व्यक्ति को अदालत में अपना पक्ष रखने का अधिकार प्रदान किया गया है । ताकि किसी भी शख्स को यह कहने का मौका प्राप्त ना हो सके कि उसका पक्ष सुने बिना ही फैसला दे दिया गया  ।

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कानूनी सहायता किसे प्रदान की जाती है:-

  • कानूनी सहायता ऐसे व्यक्ति को प्राप्त हो सकती है जिसके पास ना तो कोर्ट की फीस देने का पैसा हो और ना ही मुकदमा लड़ने के लिए आर्थिक संसाधन है
  • अभियुक्त यदि 16 साल से कम उम्र का हो तो वह भी कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता है
  • विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 में अधोलिखित व्यक्ति विशेष को कानूनी सहायता पाने के योग्य माना गया है :-
  • (1) शारीरिक रूप से अक्षम अथवा अयोग्य शख्स
  • (2) बालक
  • (3) नारी
  • (4) जातिगत हिंसा व अत्याचार का भागी शख्स
  • (5) बाढ़ और सूखे से पीड़ित व्यक्ति
  • (6) बंधुआ मजदूर बेगार से पीड़ित व्यक्ति
  • (7) लोक व औद्योगिक उपद्रव से ग्रस्त व्यक्ति
  • (8) मानसिक चिकित्सालय में रहने वाले रोगी ।



  • ऐसा बंदी जिकी वार्षिक आय ₹11000 से कम हो वह सरकार से कानूनी सहायता प्राप्त करने का पात्र होता है
  • भरण पोषण के मामलों में प्रत्येक पीड़ित पक्ष कार को पात्र माना गया है
  • तलाक संबंधी मामले में प्रत्येक स्त्री को कानूनी सहायता प्रदान की जाती है
  • ऐसी स्त्री जिसका शीलभंग किया गया हो कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती हैं
  • ऐसे व्यक्ति जिसके पास कुर्की योग्य संपत्ति ना हो और विवादित संपत्ति के अतिरिक्त ₹1000 से अधिक की संपत्ति ना हो विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकारी होता है ।
  • अपहरण की गई नारी विधिक सहायता की अधिकारी होती है।
  • सीपीसी 1908 के आदेश 44 के अनुसार निर्धन व्यक्ति को अपीलीय न्यायालय में कोर्ट फीस दिए बिना अपील करने का अधिकार कानूनी सहायता के रूप में प्रदान किया गया है ।
  • जिस व्यक्ति के खिलाफ सीपीसी की धारा 303 के अनुसार अभियोग दर्ज हो वह भी अपनी प्रति रक्षा के अधिकार स्वरूप मनपसंद वकील की सेवाएं प्राप्त कर सकता है ।
  • सेशन कोर्ट में सीपीसी की धारा 304 के अनुसार विचारणीय प्रकरण वाले व्यक्ति के आर्थिक रूप से अक्षम होने पर सरकार द्वारा उसके लिए निशुल्क वकील की व्यवस्था की जाती है ।

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