प्रादेशिक खण्ड – Criminal Procedure Code 1973 (Crpc) Section 7 in Hindi
Crpc Section 7. प्रादेशिक खण्ड-(1) प्रत्येक राज्य एक सेशन खण्ड होगा या उसमें सेशन खण्ड होगे और इस संहिता के प्रयोजनों के लिए प्रत्येक सेशन खण्ड एक जिला होगा या उसमें जिले होंगे; परन्तु प्रत्येक महानगर क्षेत्र, उक्त प्रयोजनो के लिए, एक पृथक् सेशन खण्ड और जिला होगा।
(2) राज्य सरकार उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात्, ऐसे खण्डों और जिलों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन कर सकती है।
(3) राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात्, किसी जिले को उपखण्डों में विभाजित कर सकती है और ऐसे उपखण्डों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन कर सकती है।
(4) किसी राज्य में इस संहिता के प्रारम्भ के समय विद्यमान सेशन खण्ड, जिले और उपखण्ड इस धारा के अधीन बनाए गए समझे जाएँगे।
टिप्पणी- Crpc Section 7
यह धारा भारत के प्रत्येक भाग में, जहाँ यह संहिता लागू होती है, एक सेशन-खण्ड के अस्तित्वका निर्धारण करती है। अब प्रत्येक महानगर क्षेत्र संहिता के प्रयोजनों के लिए एक सेशन-खण्ड और जिला माना गया है। इस धारा के अन्तर्गत राज्य सरकार को उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात्-
(i) खण्डों और जिलों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन करने;
(ii) किसी जिले को उपखण्डों में विभाजित करने; एवं
(ii) ऐसे उपखण्डों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन करने;
की शक्तियाँ दी गई है। राज्य सरकार एक जिले को दो सेशन-खण्डों में विभाजित कर सकती है,” लेकिन जहाँ कोई राज्य इस संहिता के प्रवर्तन के समय पूर्व से ही सेशन- खण्ड, जिलो और उप-खण्डों में विभव्त है, वे इस प्रकार बने रहेंगे मानों वे इस संहिता के अधीन बनाये गये हों।
शब्द “जिला’ से अभिप्राय
शब्द “जिला” से अभिप्राय सामान्यतः “राजस्व जिला” से होता है; लेकिन प्रत्येक दशा में यह आवश्यक नहीं है। संहिता के प्रयोजनार्थ इससे आशय आपराधिक प्रशासन की दृष्टि से गठित जिले से है; चाहे वह संहिता के प्रभावशील होने से पूर्व बना हो या बाद में।
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