पत्नी की तम्बाकू चबाने की आदत के आधार पर तलाक की डिक्री को मंजूरी नहीं दी जा सकती : बॉम्बे हाईकोर्ट

पत्नी की तम्बाकू चबाने की आदत के आधार पर तलाक की डिक्री को मंजूरी नहीं दी जा सकती : बॉम्बे हाईकोर्ट

हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में तलाक के आधार के बारे में बताया गया है और तलाक का सबसे बड़ा ग्राउंड है Cruelty यानी की क्रूरता जिसे साबित करके ज्यादातर तलाक सक्सेसफुली हो जाते हैं लेकिन जब बात आती है क्रूरता की तो इसका दायरा बहोत बड़ा है।  क्रूरता में किन-किन बातों को रखना चाहिए या रखा जा सकता है यह हमेशा ही अरगुमेंट का टॉपिक रहता है। 

 

यह जजमेंट कुछ ऐसे ही सवाल उठता है।  मुंबई हाई कोर्ट में एक पति ने अपील की फैमिली कोर्ट के एक जजमेंट  के खिलाफ।  मुद्दा यह था कि उसे अपनी पत्नी से तलाक चाहिए था क्योंकि उसकी पत्नी तंबाकू खाती थी।  उन्हें अपनी वाइफ से डायवोर्सज इस वजह से चाहिए था क्योंकि वह तंबाकू खाती थी और फैमिली कोर्ट उनकी इस अपील को खारिज कर चुके थे।

 

बात हो रही है शंकर बनाम रीना,फैमिली कोर्ट अपील नंबर 70/2016 केस की पृष्ठभूमि की बात करते हैं। 

 

इस केस में पति ने हिंदू मैरिज एक्ट 1955 धारा 13 I (i-a) के तहत क्वालिटी के आधार पर तलाक की डिमांड की थी उनका एक बेटा और बेटी है

 
पति ने यह दलील दी कि पत्नी तबाकू चबाती है जिसकी वजह से उस उसके पेट में सिस्ट जम रहे हैं और इलाज में उसे बहुत खर्च करना पड़ रहा है। और जब उसका मन होता है वह पति का घर छोड़कर चली जाती है। 
 
लेकिन पत्नी ने पति की सारी बातों को बेबुनियाद बताया और कोर्ट को बताया कि पति और सास उसे मेंटली और फिजिकली हरासमेंट करते हैं। उसे कई बार दहेज की मांग भी कर चुके हैं।  इसमें वाइफ ने बताया कि 2008 में पति की Aids हो गया था फिर भी वह अपने पति को छोड़कर नहीं गए।
 

कोर्ट ने दोनों पार्टी को सुना और पाया कि पति ने जो भी दलीले दी है और रोजमर्रा की शादी शुदा वाइफ की छोटी मोटी परेशानी से ज्यादा कुछ भी नहीं है। घरेलू काम ना करना, छोटे-मोटे झगड़े करना, घर से चले जाना, पति का टिफिन पैक ना करना ऐसी प्रॉब्लम नहीं है इससे बहुत ज्यादा मेंटली टॉर्चर होता हो और साथ रहना मुश्किल हो जाए।
 
 

कोर्ट ने कहा

 
कि पति एचआईवी पॉजिटिव है फिर भी पत्नी उसके साथ 2010 तक रही यह बड़ी बात है और बात रही वाइफ के ऊपर मेडिकल खर्च की तो उसके रिकॉर्डिंग पति ने कोई भी बिल कोर्ट में पेश नहीं किए, जिससे वह अपनी बात को साबित कर सके। इसलिए कोर्ट ने कहा कि उनकी मैरिज टूटती है तो बच्चों को बड़ा नुकसान होगा यह कहकर उन्होंने पति की इस अपील को खारिज कर दिया। 
 

 

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