Crpc 174. आत्महत्या, आदि पर पुलिस का जाँच करना और रिपोर्ट देना-
Crpc 174 in Hindi:- (1) जब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी, या राज्य सरकार द्वारा उस निमित्त विशेषतया सशक्त किए गए किसी अन्य पुलिस अधिकारी को यह इत्तिला मिलती है कि किसी व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली है अथवा कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा या जीवजन्तु द्वारा या किसी यंत्र द्वारा या दुर्घटना द्वारा मारा गया है,
अथवा कोई व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों में मरा है जिनसे उचित रूप से यह संदेह होता है कि किसी अन्य व्यक्ति ने कोई अपराध किया है तो बह मृत्यु समीक्षाएँ करने के लिए सशक्त निकटतम कार्यपालक मजिस्ट्रेट को तुरन्त उसकी सूचना देगा और जब तक राज्य सरकार द्वारा विहित किसी नियम द्वारा या जिला या उपखण्ड मजिस्ट्रेट के किसी साधारण या विशेष आदेश द्वारा अन्यथा निदिष्ट न हो वह उस स्थान को जाएगा जहाँ ऐसे मृत व्यक्ति का शरीर है और वहाँ पड़ोस के दो या अधिक प्रतिष्ठित निवासियों की उपस्थिति में अन्वेषण करेगा और मृत्यु के दृश्यमान कारण की रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें ऐसे घावों, अस्थिभंगों, नीलों और क्षति के अन्य चिह्नों का जो शरीर पर पाए जाएँ, वर्णन होगा और यह कथन होगा कि ऐसे चिह्न किस प्रकार से और किस आयुध या उपकरण द्वारा (यदि कोई हो) किए गए प्रतीत होते हैं।
(2) उस रिपोर्ट पर ऐसे पुलिस अधिकारी और अन्य व्यक्तियों द्वारा, या उनमें से इतनों द्वारा जो उससे सहमत है, हस्ताक्षर किए जाएँगे और वह जिला मजिस्ट्रेट या उपखण्ड मजिस्ट्रेट को तत्काल भेज दी जाएगी।
(3) जब- (Crpc 174 in Hindi)
(1) मामले में किसी स्त्री द्वारा उसके विवाह की तारीख से सात वर्ष के भीतर आत्महत्या अन्तर्वलित है; या
(ii) मामला किसी स्त्री की उसके विवाह के सात वर्ष के भीतर ऐसी परिस्थितियों में मृत्यु से सम्बन्धित है जो यह युक्तियुक्त संदेह उत्पन्न करती है कि किसी अन्य व्यक्ति ने ऐसी स्त्री के सम्बन्ध में कोई अपराध किया है; या
(iii) मामला किसी स्त्री की उसके विवाह के सात वर्ष के भीतर मृत्यु से सम्बन्धित है और उस स्त्री के किसी नातेदार ने उस निमित्त निवेदन किया है; या
(iv) मृत्यु के कारण की बाबत कोई संदेह है; या
(v) किसी अन्य कारण से पुलिस अधिकारी ऐसा करना समीचीन समझता है, तब ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए, जो राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विहित किए जाएँ, वह अधिकारी यदि मौसम ऐसा है और दूरी इतनी है कि रास्ते में शरीर के ऐसे सड़ने की जोखिम के बिना, जिसमें उसकी परीक्षा व्यर्थ हो जाए, उसे भिजवाया जा सकता है तो शरीर को उसकी परीक्षा की दृष्टि से, निकटतम सिविल सर्जन के पास या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त नियुक्त अन्य अर्हित चिकित्सक
1. आत्महत्या आदि के मामलों में पुलिस द्वारा अन्वेषण किया जाना-
उपधारा (1) जब भी पुलिस थाने के किसी भारसाधक अधिकारी को या राज्य सरकार द्वारा सशक्त किये गये अन्य पुलिस अधिकारी को यह सूचना मिले कि-
(i) किसी व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली है, या
(ii) कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा या जीव-जन्तु द्वारा या किसी अन्य य्त्र द्वारा या दुर्घटना द्वारा मारा गया है,
(iii) कोई व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों में मरा है जिनसे यह उचित रूप से सन्देह होता है कि किसी अन्य व्यक्ति ने कोई अपराध किया है,
तो वह-
(i) मृत्यु-समीक्षा (inquest, Crpc 174 in Hindi) करने के लिए सशक्त निकटतम कार्यपालक मजिस्ट्रेट को उसकी अविलम्ब सूचना देगा,
(ii) ऐसे स्थान पर जायेगा जहाँ मृत व्यक्ति का शरीर हो और वहाँ दो या अधिक प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति में उसका अन्वेषण करेगा,
(iii) ऐसे अन्वेषण पर मृत्यु के दृश्यमान कारणों की एक रिपोर्ट तैयार करेगा। ऐसी रिपोर्ट को पंचनामा भी कहा जाता है। पंचनामे में उपर्युक्त सभी बातों का उल्लेख किया जाता है। पंचनामे में अभियुक्त के नाम का उल्लेख किया जाना आवश्यक नहीं है। ऐसी कोई विधिक अपेक्षा नहीं है कि पंचनामे में अभियुक्त का नाम अंकित हो ही।’ यह भी आवश्यक नहीं है कि मृत्यु-समीक्षा रिपोर्ट में घटना कारित होने की रीति तथा अभियुक्त का नाम अंकित हो, जैसा कि अमरसिंह बनाम बलविन्दर सिंह के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया है।
2. रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट को भेजा जाना-
ऐसी रिपोर्ट उपधारा (3) के अनुसार पुलिस अधिकारीएवं अन्य व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाकर जिला मजिस्ट्रेट अथवा उपखण्ड मजिस्ट्रेट को भेजी जायेगी।
3. मृत शरीर की चिकित्सक द्वारा परीक्षा किया जाना-
जहाँ मृत्यु के कारणों के बारे में सन्देह हो और पुलिस अधिकारी को यह समीचीन जान पड़े कि ऐसे मृत शरीर की चिकित्सक द्वारा परीक्षा किया जाना आवश्यक है, वहाँ वह ऐसे मृत शरीर की परीक्षा हेतु निकटतम सिविल सर्जन अथवा अन्य अर्हतावान् चिकित्सक के पास भेजेगा। मृत शरीर की परीक्षण रिपोर्ट को “पोस्टमार्टम रिपोर्ट” कहा जाता है। इस रिपोर्ट में उन सभी बातों का उल्लेख किया जाना चाहिये जिनसे मृत्यु के कारणों का पता चल सके; जैसे-
(i) चोट या घाव मृत्यु पूर्व का है या बाद का;
(ii) चोटें कारित करने में किन सम्भावित अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया गया है,’ आदि।
4. मृत्यु-समीक्षा करने के लिए सशक्त मजिस्ट्रेट –
उपधारा (4) के अन्तर्गत कोई जिला मजिस्ट्रेट, उपखण्ड मजिस्ट्रेट अथवा राज्य-सरकार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा इस प्रयोजन के लिए विशेषतया सशक्त किया गया कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट मृत्यु-समीक्षा करने के लिए सशक्त है। मृत्यु-समीक्षा का उद्देश्य-मृत्यु समीक्षा का मुख्य उद्देश्य मृत्यु के कारणों को सुनिश्चत करना है। मृत्यु-समीक्षा में इन बातों का उल्लेख किया जाना आवश्यक नहीं है –
(क) अभियुक्त का नाम;
(ख) प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों के नाम;
(ग) अपराध कारित करने में प्रयुक्त अस्र-शस्त्रों का विवरण; आदि।
रवि उर्फ रविचन्द्रन बनाम स्टेट’ के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि मृत्यु समीक्षा का मुख्य उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि हत्या मानव वध प्रकृति की तो नहीं है। अधिलेखन का प्रभाव-मृत्यु समीक्षा की रिपोर्ट मात्र इस आधार पर अविश्वसनीय नहीं मानी जायेगी क्योंकि सूचना देने वाले व्यक्ति के नाम पर अधिलेखन (over writing) किया गया है, तब जब कि प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों तथा चिकित्सीय रिपोर्ट से तथ्यों की पुष्टि हो रही हो ।”
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