प्रत्याभूति के प्रकार (Kinds of Guarantee)
गारन्टी या प्रत्याभूति (Guarantee) एक कानूनी शब्द है जो वारन्टी (warranty) तथा जमानत (सेक्योरिटी) से अधिक महत्वपूर्ण व विस्तृत आधार वाला होता है। किसी लेनदेन में, प्रत्याभूति के माध्यम द्वारा एक व्यक्ति या पार्टी दूसरे व्यक्ति या पार्टी को एक प्रकार का विश्वास दिलाता है कि माल या सेवा की गुणवत्ता अच्छी और टिकाऊ रहेगी। प्रत्याभूति का अर्थ उस समझौते से भी है जिसके आधार पर दावे, अधिकार या कब्जा प्राप्त किया जाता है।
प्रत्याभूति के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
(1) शर्त-रहित एवं शर्त-सहित प्रत्याभूति (Absolute and Conditional Guarantee)
ऐसी प्रत्याभूति शर्तरहित कहलाती है जिसमें प्रतिभू बिना किसी शर्त के मूल ऋणी की त्रुटि की दशा में ऋण का भुगतान करने अथवा उसके दायित्व का निष्पादन करने का वचन देता है। शर्तसहित प्रत्याभूति वह प्रत्याभूति है जो मूल ऋणी द्वारा त्रुटि करने पर तुरन्त कार्यान्वित नहीं करायी जा सकती, जब तक इसके अतिरिक्त कोई अनिश्चित घटना (contingency) घटित नहीं होती।
(2) चालू प्रत्याभूति (Continuing Guarantee)
जब प्रत्याभूति व्यवहारों की एक श्रृंखला तक विस्तृत हो तो उसे चालू प्रत्याभूति कहा जाता है। अन्य शब्दों में, चालू प्रत्याभूति किसी एक व्यवहार के लिए न होकर कई व्यवहारों से सम्बन्धित होती है, और यह अनिश्चित काल तक चालू रहती है और सभी समाप्त होती है जब प्रतिभू इसका खण्डन (Revocation) कर देता है।
उदाहरण-
(i) अ इस प्रतिफल में कि ब अपनी जमींदारी का लगान वसूलने के लिए स को नौकर रखेगा, ब को यह वचन देता है कि वह (अ) स द्वारा सही वसूली और भुगतान के लिए 80,000 रुपये तक उत्तरदायी होगा, चालू प्रत्याभूति है।
(ii) क, एक चीनी के विक्रेता ख को उस चीनी के सम्बन्ध में, जिसकी पूर्ति वह ग को समय-समय पर करता रहेगा, 11,000 रु. तक के भुगतान की प्रत्याभूति देता है । ख ग को 11,000 रु० की चीनी देता है और ग, 11,000 रु. का भुगतान ख को कर देता है। इसके बाद ख ग को 12,000 रु. की चीनी देता है। ग 12,000 रु. का भुगतान नहीं कर पाता। यहाँ पर क द्वारा दी गई प्रत्याभूति चालू प्रत्याभूति थी, अतः वह 11,000 रु० तक के लिए ख के प्रति उत्तरदायी होगा।
उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि एक प्रत्याभूति को चालू प्रत्याभूति सिद्ध करने के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्याभूति व्यवहारों की श्रृंखला से सम्बन्धित हो जिनमें से कुछ व्यवहार अज्ञात एवं अनिश्चित हों । एक प्रत्याभूति चालू है या नहीं इसका निर्धारण अनुबन्धों की शर्तों, पक्षकारों के आशय एवं प्रत्याभूति देने की परिस्थितियों से भी किया जा सकता है।
(3) सीमित एवं असीमित प्रत्याभूति (Limited and Unlimited Guarantee)
जब किसी एक सौदे या व्यवहार के लिए प्रत्याभूति दी जाती है तो उसे सीमित प्रत्याभूति कहते हैं और इस अर्थ में यह चालू प्रत्याभूति से भिन्न है । असीमित प्रत्याभूति वह प्रत्याभूति है जिसकी समाप्ति का या तो समय निश्चित नहीं होता अथवा प्रत्याभूति कितनी राशि हेतु दी गई, इसका निर्धारण नहीं किया जाता।
(4) सामान्य एवं विशिष्ट प्रत्याभूति (General and Special Guarantee)
ऐसी प्रत्याभूति जो सामान्य जनता द्वारा सामान्यतः स्वीकृति प्राप्त करने के लिए दी जाती है, सामान्य प्रत्याभूति कहलाती है। यह किसी भी व्यक्ति को किसी एक व्यक्ति द्वारा दिया गया सामान्य वचन होता है जिसके अन्तर्गत प्रतिभू को मूलऋणी द्वारा ऋण की अदायगी न करने पर उत्तरदायी ठहराया जाता है । विशिष्ट प्रत्याभूति के अन्तर्गत किसी व्यक्ति विशेष के लिए प्रत्याभूति दी जाती है और केवल वही व्यक्ति इस प्रत्याभूति का लाभ उठा सकता है, ऐसी प्रत्याभूति में प्रतिभू केवल उसी व्यक्ति के सम्बन्ध में उत्तरदायी होता है।
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