लेनदार के आचरण से गारन्टीकर्ता की दायित्व मुक्ति को समझाइये | Dischange of surety by conduct of creditor

लेनदार के आचरण से गारन्टीकर्ता की दायित्व मुक्ति को समझाइये | Dischange of surety by conduct of creditor




(अ) अनुबन्ध की शर्तों में फेर-बदल करने पर (Variation in terms of contract) – गारन्टीकर्त्ता गारन्टी अनुबन्ध के अन्तर्गत दायित्वों को पूरा करने के लिए उत्तरदायी है। यदि अनुबन्ध में बिना उसकी अनुमति के लेनदार व देनदार द्वारा कोई परिवर्तन किया जाता है, तो वह उस परिवर्तन से उत्पन्न दायित्वों से मुक्त होगा (धारा 133), किन्तु यदि गारन्टी कई अलग-अलग कार्यों या अलग-अलग ऋणों के भुगतान से सम्बन्धित है, तो इनमें से किसी एक में किए परिवर्तन के कारण वह शेष दायित्वों से मुक्त नहीं होगा। लगातार गारन्टी की दशा में गारन्टीकर्त्ता किसी भी परिवर्तन से उत्पन्न दायित्वों से मुक्त समझा जायेगा ।

उदाहरण—
A ने माल बेचने के लिए B को इस शर्त पर नियुक्त करना स्वीकार किया कि P, B की गारन्टी दे। बाद में P की जानकारी के बिना A और B यह ठहराव करते ह कि B को वेतन के स्थान पर बेचे हुए माल पर कमीशन मिलेगा। इस ठहराव के बाद B द्वारा की गई गड़बड़ी के लिए P का दायित्व नहीं होगा ।
संक्षेप में. गारन्टीकर्त्ता का दायित्व उन परिस्थितियों के लगातार बने रहने पर निर्भर करता है, जो गारन्टी दिये जाते समय उपस्थित थीं । यदि लेनदार और देनदार के बीच अनुबन्ध में बिना गारन्टीकर्त्ता की अनुमति के कोई परिवर्तन किया जाता है, तो गारन्टीकर्त्ता दायित्व – मुक्त समझा जायेगा। यह इसलिए है कि बदली हुए परिस्थितियों में दायित्व वे नहीं रह जाते जो गारन्टी देते समय गारन्टीकर्ता ने लिए थे । यदि परिवर्तन के लिए गारन्टीकर्त्ता स्वयं अनुमति देता है, तो वह दायित्व – मुक्त नहीं समझा जायेगा ।

(ब) लेनदार एवं देनदार के बीच निपटारे द्वारा (Compounding by creditor with principal debtor) – लेनदार व देनदार के बीच निपटारे अथवा अतिरिक्त समय देने अथवा देनदार पर दावा न करने के अनुबन्ध से गारन्टीकर्ता दायित्व मुक्त हो जाता है । यदि गारन्टीकर्त्ता ने ऐसे किसी अनुबन्ध के लिए सहमति दी है, तो वह दायित्व मुक्त नहीं होगा (धारा 135 ) ।

किन्तु निम्न परिस्थितियों में गारन्टीकर्ता दायित्व मुक्त नहीं होगा—

(1) यदि लेनदार द्वारा देनदार को अतिरिक्त समय देने सम्बन्धी अनुबन्ध देनदार के स्थान पर किसी तीसरे व्यक्ति से किया जाता है, तो गारन्टीकर्ता दायित्व मुक्त नहीं होगा (धारा 136) !
उदाहरण – A के पास B द्वारा लिखा तथा ) द्वारा स्वीकृत किया विनिमय पत्र है जिसके भुगतान की तारीख बीत चुकी है । ) को अतिरिक्त समय देने के लिए A ने R से अनुबन्ध किया । B दायित्व मुक्त नहीं हुआ।
( 2 ) लेनदार द्वारा सह- गारन्टीकर्ताओं में से किसी एक को छूट दिये जाने पर अन्य सह-गारन्टीकर्त्ता दायित्व-मुक्त नहीं होते। छूट पाया सह-गारन्टीकर्ता भी अन्य सह-गारन्टीकर्ता के प्रति अपने दायित्व से मुक्त नहीं होता (धारा 138)।
(3) गारन्टी में कोई विपरीत प्रावधान न होने पर, लेनदार द्वारा देनदार पर दावा न करने या किसी अन्य उपचार का प्रयोग न करने भर से गारन्टीकर्ता दायित्व – मुक्त नहीं होगा (धारा 137 ) ।
उदाहरण—A, B का देनदार है। P ने इस ऋण के भुगतान की गारन्टी दी है। B भुगतान की तारीख के एक साल बाद तक A पर दावा नहीं करता । P अपने दायित्व से मुक्त नहीं होगा ।
कानून के अनुसार सह- गारन्टीकर्ता का दायित्व संयुक्त एवं अलग-अलग है। यदि लेनदार केवल एक सह- गारन्टीकर्ता पर दावा करता है, तो अन्य सह गारन्टीकर्ता दायित्व मुक्त नहीं होते।

(स) मुख्य देनदार को छूट या मुक्ति दिए जाने पर ( Release or discharge of principal debtor) – यदि लेनदार, देनदार को कोई छूट देने का अनुबन्ध करता है, तो इससे गारन्टीकर्त्ता दायित्व-मुक्त समझा जाएगा । लेनदार के कोई कार्य करने या न करने से (जिसके कानूनी परिणाम देनदार को दायित्व मुक्त करने जैसे हों) गारन्टीकर्त्ता दायित्व – मुक्त समझा जायेगा, किन्तु कानून के प्रवर्तन के फलस्वरूप गारन्टीकर्त्ता दायित्व मुक्त नहीं होता ।
उदाहरण—A ने B को अपना कर्मचारी नियुक्त किया । P ने B की गारन्टी दी । बाद में इस नियुक्ति को समाप्त कर दिया गया। फिर, A ने B को एक अन्य जगह नियुक्त किया जिसके लिए एक दूसरे व्यक्ति ने गारन्टी दी । P दायित्व मुक्त समझा गया, किन्तु लेनदार द्वारा सीमा अवधि (period of limitation) के भीतर दावा न करने पर गारन्टीकर्ता दायित्व मुक्त नहीं होगा ।

– (द) जमानत गुम होने पर (Loss of security) – यदि लेनदार जमानत खो देता है या बिना गारन्टीकर्त्ता की अनुमति के उसे किसी दूसरे को दे देता है, तो जमानत की रकम के मूल्य के लिए गारन्टीकर्ता का दायित्व समाप्त हो जाता है (धारा 141 ) ।
उदाहरण – A अपने किरायेदार B को P की गारन्टी पर 4,000 रुपये उधार देता है। A के पास B का 4,000 रुपये मूल्य का फर्नीचर भी बंधक रखा हुआ है। बाद में A ने यह बंधक-पत्र रद्द कर दिया। B दिवालिया हो जाता है और A, P पर गारन्टी के अन्तर्गत दावा करता है। P का दायित्व फर्नीचर के मूल्य की राशि तक समाप्त समझा जायेगा ।

(य) लेनदार के कोई कार्य करने या न करने पर जिससे गारन्टीकर्त्ता का अन्तिम उपचार दूषित होता हो (Creditor’s act or omission impairing surety’s eventual remedy) – लेनदार द्वारा कोई ऐसा कार्य करना जो गारन्टीकर्ता के अधिकारों के अनुरूप न हो, या कोई ऐसा कार्य न करना जिसे गारन्टीकर्त्ता के लाभ के लिए करना उसका कर्त्तव्य है, तथा इस प्रकार यदि गारन्टीकर्त्ता का अन्तिम उपचार दूषित होता हो, तो गारन्टीकर्ता दायित्व मुक्त हो जाएगा (धारा 139 ) ।
उदाहरण — A ने B के लिए एक जहाज बनाने का अनुबन्ध किया । अनुबन्ध की राशि कार्य की प्रत्येक अवस्था के बाद किस्तों में चुकाई जानी थी | P ने A द्वारा अनुबन्ध के उचित पालन के लिए गारन्टी दी । बिना P की जानकारी के B ने आखिरी दो किस्तें काम समाप्त होने से पहले दे दीं। इस पूर्व – भुगतान के कारण P दायित्व-मुक्त हो गया |

लेनदार का कर्त्तव्य 

लेनदार का यह कर्त्तव्य है कि वह गारन्टीकर्ता के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रत्येक आवश्यक कार्य करे । यदि मालिक अपने आचरण से किसी नौकर को बेईमानी करने के लिए बढ़ावा देता है, तो नौकर की ईमानदारी की गारन्टी देने वाला दायित्व-मुक्त हो जाता है। उदाहरण—A ने एक बैंक मैनेजर की गारन्टी दी । मैनेजर ने कुछ गड़बड़ी की, किन्तु
इसकी जानकारी के बाद भी डायरेक्टरों ने इस ओर से आँखें मूंद लीं। न्यायालय की राय में डायरेक्टरों के आचरण से A दायित्व-मुक्त समयाजागा ।

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