अवैध कॉल रिकॉर्डिंग भी कोर्ट में सबूत के रूप में स्वीकार होंगे हाई कोर्ट

अवैध कॉल रिकॉर्डिंग भी कोर्ट में सबूत के रूप में स्वीकार होंगे हाई कोर्ट





इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घोषणा की कि रिकॉर्ड की गई फोन बातचीत को स्वीकार्य साक्ष्य माना जा सकता है, भले ही वह अवैध रूप से प्राप्त की गई हो। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने रिश्वतखोरी के एक मामले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए यह फैसला सुनाया।

अदालत ने बचाव पक्ष की व्याख्या से असहमति जताते हुए कहा कि रिकॉर्ड की गई बातचीत अवरोधन के समान नहीं है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और त्रिपाठी की आरोपमुक्ति की अर्जी खारिज कर दी, यह देखते हुए कि रिकॉर्डिंग उनके खिलाफ एकमात्र सबूत नहीं थी।


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