बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि ब्रेकअप के बाद शादी से इनकार करना आत्महत्या के लिए उकसाने का आधार नहीं हो सकता।
मामले का सारांश:
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पृष्ठभूमि: एक महिला और पुरुष के बीच नौ वर्षों तक प्रेम संबंध था।बाद में पुरुष ने यह संबंध समाप्त कर दिया और महिला से शादी करने से इनकार कर दिया।इसके बाद, महिला ने 3 दिसंबर 2020 को आत्महत्या कर ली और एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उसने अपने ब्रेकअप और शादी से इनकार का उल्लेख किया।
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आरोप: महिला के पिता ने पुरुष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज कराया, आरोप लगाया कि उनकी बेटी की आत्महत्या का कारण पुरुष का शादी से इनकार था।
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कोर्ट का अवलोकन:
- सुसाइड नोट और व्हाट्सएप चैट से स्पष्ट होता है कि दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से थे।
- रिश्ता टूटने के बाद भी महिला पुरुष के संपर्क में थी और उनसे संवाद कर रही थी।
- कोई साक्ष्य नहीं मिला जिससे यह साबित हो कि पुरुष ने महिला को आत्महत्या के लिए उकसाया।
- रिश्ता समाप्त होने और आत्महत्या के बीच लगभग पांच महीने का अंतराल था, जो कारण-प्रभाव संबंध स्थापित नहीं करता।
जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के ने पाया कि:
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निर्णय: कोर्ट ने कहा कि केवल शादी से इनकार करना या संबंध तोड़ना अपने आप में आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर नहीं है।इसलिए, पुरुष को धारा 306 के आरोप से मुक्त किया गया।
महत्वपूर्ण बिंदु:
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कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि टूटे हुए रिश्ते और दिल टूटना जीवन का हिस्सा हैं, और केवल इस आधार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला नहीं बनता।
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आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप के लिए यह आवश्यक है कि आरोपी का कृत्य सीधे तौर पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करता हो, जो इस मामले में सिद्ध नहीं हुआ।
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