घरेलू हिंसा के मामलों में जमानती वारंट जारी करने को अनुचित DV act 2005

घरेलू हिंसा के मामलों में जमानती वारंट जारी करने को अनुचित


घरेलू हिंसा के मामलों में जमानती वारंट जारी करने को अनुचित


 "नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले के बारे में, जिसमें घरेलू हिंसा के मामलों में जमानती वारंट जारी करने को अनुचित बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि घरेलू हिंसा के मामलों में गिरफ्तारी वारंट जारी करना सही नहीं है, क्योंकि यह कार्यवाही सिविल प्रकृति की होती है, न कि आपराधिक। इसके अनुसार, मजिस्ट्रेट को प्रतिवादियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए गिरफ्तारी वारंट जैसे कठोर कदम नहीं उठाने चाहिए।


इस फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करना है और यह सिविल प्रकृति का है। इसलिए, कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस तरह के मामलों में जमानती वारंट जारी करना अनुचित होगा।


सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं को स्पष्ट किया:


घरेलू हिंसा अधिनियम की प्रकृति: सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की सिविल प्रकृति को स्पष्ट किया है। यह अधिनियम आपराधिक कार्यवाही के बजाय सिविल कार्यवाही के रूप में माना जाता है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करना है।


गिरफ्तारी वारंट का निषेध: अदालत ने स्पष्ट किया है कि घरेलू हिंसा के मामलों में गिरफ्तारी वारंट जारी करना अनुचित है। मजिस्ट्रेट को प्रतिवादियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बलपूर्वक उपायों का सहारा नहीं लेना चाहिए।


प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि घरेलू हिंसा के मामलों में सिविल प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है और कठोर आपराधिक कार्यवाहियों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।


महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा: इस फैसले से महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा को बल मिलता है और यह सुनिश्चित होता है कि घरेलू हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिले।


इस मामले का शीर्षक कामरान खान और अन्य बनाम बिलकीस खानम है, और यह फैसला न्यायिक प्रणाली के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।


इस महत्वपूर्ण निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि घरेलू हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सिविल न्यायिक प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा और कठोर आपराधिक कार्यवाहियों का सहारा नहीं लिया जाएगा।





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