High Court Judgement on Women Bail in Non Bailable Offence | आरोपी महिला की जमानत पर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फैसला
क्या था ये मामला:- High Court Judgement on Women Bail
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है, कि आरोपी अगर महिला है सिर्फ इसी आधार पर उसको जमानत नहीं दी जा सकती । विवेक सिंह ठाकुर न्यायमूर्ति ने यह बात सुषमा रानी की जमानत याचिका पर गौर करते हुए कही है । सुषमा 26 साल की है, और उन पर उनके पति की हत्या करने का इल्जाम लगाया गया है ।
यह दलील दी गई कि 20 जुलाई 2016 से वह जेल में बंद है, और बहुत सारे गवाहों की गवाही अभी हो चुके हैं ।(High Court Judgement on Women Bail)
उनके वकील ने जमानत लेने के लिए हाईकोर्ट में दो मामलों का जिक्र किया था, और उनका हवाला दिया था “निर्मला देवी वर्सेस स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश” और दूसरा केस था “रीता देवी वर्सेस स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश” इन के समय जो फैसले आए थे उन्ही का हवाला देकर उनके वकील ने जमानत लेने के लिए अर्जी दाखिल की थी ।
कोर्ट ने कहा कि तथ्य यह है, कि सीआरपीसी की धारा 437 और हाईकोर्ट के अलावा किसी भी अन्य कोर्ट को, ऐसे व्यक्ति को रिहा करने से रोकता है, जिसके खिलाफ ऐसे अपराध में शामिल होने या शामिल होने का संदेह का आरोप है ।
ऐसा आरोप में जमानत नहीं दी जा सकती । ऐसी कंडीशन में अगर आरोपी 16 साल का है महिला है, बीमार है, शारीरिक रूप से अक्षम है, तो उस कंडीशन में कुछ अपवाद है जिसमें की जमानत दी जा सकती है ।
लेकिन इस धारा के तहत हमेशा ही जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता । बल्कि अभियोजन पर मामले के तथ्य और परिस्थिति पर गौर करने के बाद ही से जमानत दी जा सकती है ।
इसलिए सिर्फ इस आधार पर की आरोपी महिला ,है उसे जमानत नहीं दी जाएगी ।(High Court Judgement on Women Bail)
यहां पर पूरा जजमेंट पर है:-High Court Judgement on Women Bail
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आरोपी महिला है सिर्फ इसी वजह से जमानत नहीं दी जाएगी, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फैसला | High Court Judgement on Women Bail
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