सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की महत्वपूर्ण धाराओ की पूरी जानकारी || RTI Act 2005
सूचना के प्रति आम भारतीय नागरिक की पहुंच को सरल और सुनिश्चित करने के उद्देश्य और संकल्प की पूर्ति के लिए सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 को निरस्त करके इस बारे में दूसरा या सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था । इस अधिनियम द्वारा सूचना के प्रति आसान और अधिकारीक पहुंच सुनिश्चित की गई है । इसके लिए विधि में परिवर्तन भी किए गए । मान्यता प्राप्त सूचना के अधिकार को कार्यान्वित करने के लिए प्रभावी संरचना की स्थापना का भी अधिनियम में पूर्ण ध्यान रखा गया है । (RTI Act 2005)
महत्वपूर्ण धाराओ की पूरी जानकारी
धारा 2,धारा 3 और धारा 4
धारा 2 के तहत सूचना से आशय किसी भी रूप में कोई सामग्री जिसमें अभिलेख, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल राय सलाह, प्रेस रिलीज, परिपत्र, आदेश, लॉग बुक, समिति रिपोर्ट कागजात, नमूने, मॉडल और इलेक्ट्रॉनिक डाटा शामिल होते हैं ।
सूचना का अधिकार समानता के आधार पर धारा 3 के अनुसार सभी नागरिकों को प्राप्त होगा ।
धारा 4 के अनुसार लोक प्राधिकारी ओं की नियुक्ति पश्चात उनके कर्तव्यों के विषय में अधिनियम के लागू होने के 120 दिनों पश्चात लोग अधिकारी निम्नलिखित विवरण प्रकाशित करेगा।
(1) इसके संगठन कार्य एवं कर्तव्यों के विवरण ।
(2) अपने अधिकारियों के कर्तव्य एवं दायित्व ।
(3) निर्णय करने वाली प्रक्रिया में जिस क्रिया का अनुसरण किया जाना है । उसमें पर्यवेक्षकों और उत्तरदायित्व के चैनल स्थापित करना
(4) कार्यों के निर्वहन के लिए मानक तय करना । इसी प्रकार संगठन एवं निष्पादन के अनुसार तयशुदा आदि नियमों की जानकारी को प्रकाशित करना ।
धारा 5 और धारा 6
धारा 5 के अनुसार जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति एवं उनके कार्यों का प्रकाशन किया गया है ।
धारा 6 के अनुसार सूचना प्राप्त करने के लिए तयशुदा फीस के साथ स्वीकृत क्षेत्रीय भाषा हिंदी एवं अंग्रेजी में आवेदन किया जाएगा । चाही गई सूचना का विवरण आवेदन में स्पष्ट किया जाना चाहिए । जहां लिखित आवेदन नहीं किया जा सकता हो वहां लोक अधिकारी लिखित सूचना देने के लिए भी युक्ति युक्त उपाय व सहायता करेगा । आवेदन कर्ता से सूचना प्राप्त करने का कारण नहीं पूछा जाएगा । ना ही उसे व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाएगी ।
संपर्क सूत्र की जानकारी अवश्य वांछित होगी, ताकि सूचना संप्रेषण के लिए संपर्क किया जा सके । जहां सूचना का अंतरण किया जाना हो वहां आवेदक को इसकी जानकारी दी जाएगी । आवेदक का अंतरण शीघ्र किया जाना प्रस्तावित है । लेकिन किसी भी मामले में आवेदन की प्राप्ति की तिथि से 5 दिनों के पश्चात अंतरण नहीं किया जाएगा ।
धारा 7
धारा 7 के अनुसार किसी भी मामले में अनुरोध की प्राप्ति के 30 दिनों के अंदर या तो आवेदन शुल्क के भुगतान पर सूचना प्रदान करेगा या निर्दिष्ट कारणों के होने पर सूचना प्रदान के अनुरोध को अस्वीकार कर देगा । लेकिन जहां सूचना की आवश्यकता व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से संबंध रखती हो, वहां सूचना को 48 घंटों के भीतर प्रदान किया जाना चाहिए ।गरीबी रेखा से नीचे आने वाले व्यक्तियों से आवेदन शुल्क नहीं लिया जाता है ।
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धारा 8
धारा 8 सूचना प्रकट करने से छूट के संबंध में है । ऐसी सूचना जो देश की सत्य निष्ठा, एकता, सुरक्षा, गौरव, वैज्ञानिक और आर्थिक हितों, विदेशी राज्य से संबंध को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करें या जिससे अपराधों को बढ़ावा मिलता हो वहां ऐसी सूचना नहीं दी जा सकती । अदालत का अपमान करने वाली सूचना को निषिद्ध किया गया है । ऐसी सूचना जो अपराध के अनुसंधान एवं अभियोजन में बाधा डाले वह प्रदान नहीं की जा सकती । ऐसी सूचना जो वाणिज्य गोपनीयता व्यापार की गोपनीयता या बौद्धिक संपत्ति से संबंध रखती है । और उसका प्रकटीकरण प्रतिद्वंदी को क्षति पहुंचाए तो ऐसी सूचना को भी गुप्त रखा जाता है । एवं ऐसे मामले जो इस धारा के अधीन निर्दिष्ट छूट के दायरे में आते हैं । उनका प्रकट नहीं किया जाता है । व्यक्ति की किसी एक एकांतता के अधिकार को बेवजह खतरे में डालने वाली सूचना का संप्रेषण भी नहीं किया जाता है । जो सूचना संसदीय राज्य विधानसभा में निषिद्ध नहीं है वह सूचना से किसी भी व्यक्ति को वंचित नहीं रखा जा सकता ।
धारा 9, 10, 11, 12 और धारा 15
धारा 9 में उन सूचनाओं के नीचे की व्यवस्था है, जिन्हें सूचना अदायगी की सूची में रखा गया हो । विशेष स्थिति में ही निषेध किया जाता है
सूचना के कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें कुछ बातों का प्रकृटी करण किया जाता है एवं कुछ को सूचना प्रदायगी से निश्चित रखा जाता है ऐसा धारा 10 में प्रावधान है सूचना आंशिक रूप से प्रदान की जाती है ।
धारा 11 द्वारा तृतीय पक्ष कार और उसके निवेदन पर विचार किए जाने के संबंध में निर्धारित की गई है ।
धारा 12 के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग का गठन किया जाता है । और केंद्र सरकार द्वारा आयोग को शक्ति प्रदान की जाती है ।
धारा 15 के अनुसार राज्य सूचना आयोग के गठन की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है ।
धारा 18, 19, 23 और धारा 24
जबकि धारा 18 के अनुसार सूचना आयोग को शक्तियां प्रदान की गई है एवं कार्यों के निष्पादन की व्यवस्था का प्रारूप तय किया गया है ।
धारा 19 के तहत अपील की प्रस्तावना है और धारा 20 के अधीन शक्तियां प्रदान की जा सकती हैं ।
धारा 23 के अनुसार उन सूचनाओं का उपयोग न्यायालय के कार्य में प्रयोग नहीं किया जाएगा यदि उन सूचनाओं का संबंध मानवीय अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित है तो धारा 24 के अनुसार सूचना प्रदान की जा सकेगी ।
इस प्रकार सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 वर्तमान स्वरूप में अधिक प्रभाव कारी साबित होगा
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