High Court Judgement on IPC 376 in Hindi - यह जानते हुए कि लड़का शादी नहीं करेगा शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार नहीं है

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया जिसके अंतर्गत उन्होंने कहा कि अगर लड़की यह जानते हैं कि लड़का उससे शादी नहीं करेगा उसके बावजूद भी वह आपसी सहमति में आकर यौन संबंध बनाने के लिए राज्य होते हैं तो बाद में उसे बलात्कार का नाम नहीं दिया जा सकता ।

शिकायत कर्ता महिला झूठ नही बोल सकती

इस केस में कोर्ट ने यह पाया कि शिकायतकर्ता महिला आरोपी से बहुत ही गहराई से प्यार करते थे और वह खुद उसके साथ ही रहना चाहती थी इसलिए कोर्ट में आकर वह इस बात को नहीं कह सकती कि जो भी यौन संबंध बनाने के लिए उसने सहमति दी थी वह तथ्यों की गलत धारणा पर आधारित है ।

यह फैसला न्यायमूर्ति एसके अवस्थी ने दिया इस तरह से देखा और यह निष्कर्ष निकाला कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत शिकायत कर्ता ने जो बयान दर्ज किए थे उसे साफ पता चलता था कि वह खुद आरोपी के साथ संबंध बनाए रखना चाहते थी ।

“यह मामला शादी के झूठे वादे से जुड़ा हुआ नहीं है”

कोर्ट ने कहा कि वह मामला नहीं है किजिसमे लडके ने शादी के झूठा वादा किया था जिसके कारण शिकायतकर्ता द्वारा यौन संबंधों के लिए सहमति दी गई थी । बल्कि ये सहमति इसलिए दी गई थी क्योंकि शिकायतकर्ता को आवेदक से प्यार था और वह उसका साथ संबंध बनाए रखना चाहती थी,|

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अदालत ने कहा। “अगर यौन सम्बन्ध बनाने हेतु शादी का वादा नहीं किया गया तो वो बलात्कार भी नहीं है”

इसलिए अदालत ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले [डॉ ध्रुवराम मुरलीधर सोनार बनाम महाराष्ट्र राज्य] का उल्लेख किया जिसमें यह कहा गया था कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी महिला को यौन सम्बन्ध बनाने हेतु शादी का वादा नहीं किया गया तो वो बलात्कार भी नहीं है।

उसी मामले का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा: “ऐसे मामलों में जहा किसी व्यक्ति के गलत इरादे थे और उसने केवल अपनी वासना को संतुष्ट करने के लिए शादी का झूठा वादा किया था तो बाद में धोखाधड़ी के दायरे में आता है।



क्योकि एक वादा पूरा करने और झूठे वादे को पूरा न करने के बीच एक अंतर भी है।

यदि आरोपी ने गलत इरादे के साथ वादा नहीं किया है, तो इस तरह का कार्य बलात्कार करने के समान नहीं होगा। ऐसे मामलों के साथ अलग तरह से व्यवहार किया जाना चाहिए। यदि शिकायतकर्ता का कोई भी गलत इरादा था और यदि उसके पास ऐसा मकसद था तो यह बलात्कार का एक स्पष्ट मामला है। दोनों पक्षों के बीच स्वीकार किए गए शारीरिक संबंध आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं होंगे।”




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