सम्पत्ति अधिनियम पूर्ण नही है। व्याख्या कीजिये

सम्पत्ति अधिनियम पूर्ण नही है। व्याख्या  कीजिये

 


सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम पूर्ण नहीं है (Transfer or property act is not exhaustive):-सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम सर्वांगपूर्ण नहीं है क्योंकि इसमें सम्पत्ति के विषय पर सम्पूर्ण विधि नहीं है। इस अधिनियम का एक मात्र उद्देश्य सामान्य सम्पत्ति अन्तरण व्यवस्था के कुछ सिद्धान्तों का संशोधित विवरण पेश करना है। इसके अलावा सम्पत्ति व्यवस्था पर भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 तथा भारतीय रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 आदि को भी पारित किया गया है।

 

अतः स्पष्ट है कि सम्पत्ति अन्तरण पर केवल सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम 1882 ही नहीं है बल्कि इसके अलावा अन्य अधिनियम भी है। उदाहरणार्थ-हिन्दू विधि, मुस्लिम विधि तथा इंग्लिश विधि के वे सिद्धांत, जो इस अधिनियम द्वारा संशोधित नहीं किये गये हैं वे अभी भी लागू किये जा सकते हैं जैसे-हिन्दू विधि में अविभाज्य सम्पदा और मुस्लिम विधि में वक्फ आदि। अतः यह अधिनियम सम्पत्ति अन्तरण व्यवस्था का एक मात्र आधार नहीं है।

इस अधिनियम का विस्तार केवल कुछ पक्षों द्वारा किये गये कार्यों तक ही सीमित है। उदाहरणार्थ-यदि अ नामक किसी जीवित व्यक्ति द्वारा ब नामक जीवित व्यक्ति को सम्पत्ति अन्तरित की जाये तो तभी यह अधिनियम लागू होता है। अन्य कानूनी प्रक्रियाओं द्वारा किये गये सम्पत्ति के अन्तरण पर सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम 1882 लागू नहीं होगा जैसे दिवालिये की सम्पत्ति का अन्तरण, न्यायालय की आज्ञप्ति के आधार पर सम्पत्ति अन्तरण आदि। इसके अलावा यह अधिनियम बंधक संबंधी मामलों पर भी सर्वांगपूर्ण रूप से लागू नहीं होता तथा प्रभार संबंधी मामलों पर भी पूर्णरूप से लागू नहीं होता।

सुखाधिकार संबंधी अधिकारों का सृजन भी इस अधिनियम के क्षेत्र से बाहर है। वसीयत द्वारा अन्तरण पर भी यह अधिनियम लागू नहीं होता क्योंकि वसीयत द्वारा किया गया अन्तरण वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद ही लागू होता है। अतः स्पष्ट है कि सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम सभी प्रकार के सम्पत्ति के अन्तरण पर लागू नहीं होता है 

 

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