चेक बाउंस केस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला चेक बाउंस होने पर शिकायतकर्ता को इनकम सोर्स दिखाने की जरूरत नहीं होती

चेक बाउंस केस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला चेक बाउंस होने पर शिकायतकर्ता को इनकम सोर्स दिखाने की जरूरत नहीं होती



केस – पी रसिया बनाम अब्दुल नजर एंड अनदर
सी.एल.आर नंबर 1 2 3 3 -1 1 2 3 5 / 2022
जस्टिस एमआर शाह , जस्टिस बीवी नागरत्न



नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 में अब अगर चेक बाउंस होता है तो शिकायतकर्ता को यह प्रूफ करने की जरूरत नहीं है कि उसके पास यह पैसा कहां से आया था । या कब दिया था और क्यों दिया था।

अगर किसी भी व्यक्ति ने आपको चेक दिया है तो इसका मतलब यही समझा जाएगा कि उसे पैसे चुकाने थे । इसीलिए चेक जारी किया गया था । एन आई एक्ट की धारा 139 यह प्रोविजन करता है कि जब दिये गये चेक में कोई प्रॉब्लम नहीं होती यानी कि बांउस नहीं होता तो यह माना जाता है कि देने वाले पर दायित्व था । या लोन था जो उसने चेक के द्वारा चुकाया है ।


अब मामले की बात करते हैं


मामला 2017 का था केरल हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुनवाई चल रही थी । आरोपी को सेशन कोर्ट और निचली कोर्ट में दोषी ठहराया गया था और आरोपी को ₹500000 का भुगतान करने का आदेश दिया गया था । और 3 महीने की सजा भी सुनाई गई थी ।

हाई कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया था । जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो यह पाया गया कि हाईकोर्ट ने आरोपी को इस आधार पर छोड़ा था कि शिकायतकर्ता ने इनकम सोर्स नहीं बताया था और ना ही के बताया था कि पैसे देने की मीडियम क्या था।

इसलिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की इजाजत दी और आरोपी को 2 महीने के अंदर पैसा लौटाने के लिए कहा गया

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