हिंदू विधि किन विषयों पर हिंदुओं पर लागू होती है

हिंदू विधि किन विषयों पर हिंदुओं पर लागू होती है


हिंदू विधि किन विषयों पर हिंदुओं पर लागू होती है
हिंदू विधि किन विषयों पर हिंदुओं पर लागू होती है

हिंदू विधि के साथ साथ सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रश्न है, कि जिन लोगों के लिए यह विधि निर्मित हुई है, वह हिंदू कौन है?  इस प्रश्न का एकमात्र उत्तर यह है, कि वह सभी लोग जो अपने आप को हिंदू समझते हैं, हिंदू हैं  हिंदू शब्द किसी जाति अथवा संप्रदाय का बोधक नहीं है, और ना ही ज्ञान शब्द किसी धर्म विशेष का वाचक है। 
 
 
     यहां विचारणीय विषय यह है, कि हिंदू शब्द क्या हिंदू नागरिकों को ही दिया गया शब्द है, इसकी उत्पत्ति के अन्य कारण थे, यह एक अत्यंत ही आश्चर्य की बात है। कि हिंदू शब्द और उसी से बना हुआ हिंदुस्तान शब्द स्वयं यहां के लोगों का दिया हुआ नहीं है। हिंदू शब्द विदेशियों का दिया हुआ है। और इसकी उत्पत्ति सिंधु शब्द से हुई है।  विदेशी आक्रमणकारी ने जब सिंधु नदी को पार कर लिया तथा पंजाब तक चले आए, तो उन्होंने सिंधु नदी के नाम पर ही इस देश तथा इसके वासियों का नाम रखा। 
 
उच्चतम न्यायालय ने, “यज्ञ पुरुष दास जी बनाम मूल दास ” के आधुनिक निर्णय में ” हिंदू कौन है” इस प्रश्न का विचार किया, और हिंदू शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में यह कहा, कि आर्य भारत में आने के पश्चात सिंधु नदी के मैदान में बस गए। और सैंधव कहलाए। बाद में इसी सैंधव शब्द से हिंदू शब्द प्राप्त हुआ। हिंदू शब्द किसी धर्म विशेष का संकेत नहीं करता। वरन् एक भौगोलिक सीमा के अंतर्गत रहने वाले व्यक्तियों को इंगित करता था।  हिंदू शब्द से अभिप्राय सिंधु नदी के इस पार रहने वाले व्यक्तियों से था।  जब मुसलमान आक्रमणकारी यहां बस गए तो उन्होंने यहां के निवासियों तथा अपने में प्रवेश करने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया। यद्यपि हिंदू किसी जाति या संप्रदाय का बोधक नहीं है। और ना यह किसी विशेष धर्म का ही वाचक है। तथापि यह सांस्कृतिक एकता का बोधक है। 
 
 
      अब हिंदू शब्द इतना व्यापक है। कि जिसके अंतर्गत वे सभी लोग सम्मिलित  समझे जाते हैं, जो हिंदू धर्म में आस्था रखते हैं। 
 
 
हिंदू जन्म से होता है, बनाया नहीं जाता – प्रायः यह कहा जाता है, कि हिंदू जन्म से होता है, बनाया नहीं जाता। यग कथन सत्य नहीं है, क्योंकि इस कथन के अपवाद भी हैं। हिंदू शब्द से तात्पर्य केवल उन्हीं व्यक्तियों से नहीं है, जो हिंदू माता-पिता से पैदा होते हैं। वरन् उन लोगों से भी हैं, जो हिंदू धर्म बाद में अपना लेते हैं। 
 
          हिंदुत्व का एक विशेष गुण यह है, कि हिंदू माता-पिता से जो संतान पैदा होती हैं। चाहे वह संतान धर्मज हो या अधर्मज वह हिंदू ही होती है।  कोई भी संतान धर्मज या धर्माज जिसके माता-पिता में से कोई एक धर्म से हिंदू हो बौद्ध व जैन या सिख्ख  और जिसे हिंदू संस्कारों से संस्कारित किया गया हो, हिंदू ही कहलाएगा।    
 
 
   वास्तव में हिंदू शब्द से तात्पर्य उन सभी लोगों से है, जो हिंदू माता-पिता से पैदा होते हैं। और जो धर्म में परिवर्तित हो जाते हैं, वह लोग निम्नलिखित हैं –
 

क- जन्म से हिंदू। 

वह  किसी हिन्दू परिवार में जन्म लिया है। 
 

ख- बुद्ध, सिख्ख, जैन, ब्राह्मण, आर्य समाजी और लिंगायत जो कि मूल रूप में हिंदू थे।


 किन्तु अब दूसरी धार्मिकता के में विश्वास करते हैं। वर्तमान में हिंदू विवाह, हिंदू उत्तराधिकार या दत्तक ग्रहण भरण पोषण अधिनियम के अंतर्गत बुध जैन, सिख्खो को भी हिंदू शब्द के अंतर्गत सम्मिलित कर लिया गया है। और अब भी इन्हीं अधिनियम में उल्लिखित कारणों से प्रकाशित होंगे। 
 

ग- वे आदि निवासी जो हिंदू हो गए हैं। 

 
 अब्राहम बनाम अब्राहम के वाद में विद्वान न्यायाधीश ने यह भी निर्धारित किया है, कि हिंदू शब्द जन्म से हिंदू जैसे उत्पन्न हुए व्यक्ति के लिए तथा वह व्यक्ति जो हिंदू धर्म में परिवर्तित हो गए, उनके लिए भी लागू होता है। 
 
 हिंदू धर्म में जो पुनः परिवर्तित हो जाए, वह भी हिंदू है। यदि कोई आर्य धर्म स्वीकार कर ले तो वह भी हिंदू धर्म में लौट सकता है। यह पुनः धर्म परिवर्तन शूद्र या प्रायश्चित के विहित  धार्मिक अनुष्ठान करके हो सकता है। यदि पुनः धर्म परिवर्तन में कोई औपचारिक अनुष्ठान नहीं किया गया है, तो वह उस समय हिंदू हो जाता है। जब वह हिंदू जाति में हिंदुओं द्वारा प्रविष्ट कर लिया जाता है। 
 
 
      मोरारजी बनाम एडमिनिस्ट्रेटर जनरल ऑफ मद्रास के-  वाद में यह भी निर्धारित किया जा चुका है, कि कोई व्यक्ति हिंदू धर्म में परिवर्तित होने पर भी हिंदू बन सकता है। 
 

हिंदू धर्म में जो परिवर्तित हो जाए वह भी हिंदू है, 


जो व्यक्ति धर्म त्याग   कर हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म या सिख्ख धर्म, स्वीकार कर लेता है, वह धर्म परिवर्तन द्वारा हिंदू कहा जाता है।  हिंदू धर्म या उप धर्म या संप्रदाय में जो व्यक्ति हिंदू बन कर आना चाहता है। उसके लिए आवश्यक है, कि वह उस अनुष्ठान को पूरा करें, जो धर्म परिवर्तनाई उस उप धर्म या संप्रदाय में विहित है।।।। 
 
 
 

 हिंदू विधि किन विषयों पर हिंदुओं पर लागू होती है? समझाइए।

प्राय: ऐसा देखा गया है, कि हिंदू विधि जैसा कि भारतीय न्यायालयों में लागू की जाती है, सभी विषय में हिंदुओं के साथ लागू नहीं की जाती। न्याय विधि एवं न्याय शास्त्रियों के अनुसार यह कुछ ही विषयों में लागू की जाती है। इसके अतिरिक्त हिंदू विधि मूल रूप में हिंदुओं पर लागू नहीं होती। वरन् समय-समय पर अनेक परिवर्तनों तथा संसोधनों ने इस विधि पर अत्यधिक प्रभाव डाला है।

 

अतः आज भी जो हिंदू विधि हिंदुओं के लिए लागू होती है, उसका जो स्वरूप दिखाई देता है, वह बहुत कुछ परिवर्तित रूप है। वास्तव में हिंदू विधि एक अपने में स्वतः संपूर्ण पद्धति है। किंतु धीरे-धीरे इस पद्धति में समय-समय पर विधायनी क्रिया द्वारा संशोधन होते रहे हैं। हिंदू विधि की अनेक शाखाएं तो आज समाप्त कर दी गई हैं, और उनका स्थान भारतीय दंड संहिता ने हिंदू साक्ष्य विधि का स्थान भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले लिया है। केवल कुछ ही विषय ऐसे रह गए हैं, जिन से संबंधित मामलों पर ही अब हिंदू विधि को लागू किया जाता है।  यह विषय है, जिससे कि हिंदू धर्म की अवस्थाओं का प्रत्यक्ष संबंध माना जाता है।


सामान्य नियम – सामान्य रूप से हिंदू विधि जैसा कि भारतीय न्यायालय में प्रयोग लाई जाती हैं, वह निम्न विषयों में है –



1- उत्तराधिकार
2-धार्मिक प्रथाएं तथा संप्रदाय
3- दत्तक ग्रहण
4- भरण पोषण
5- विवाह
6- उत्तराधिकार
7- पारिवारिक संबंध
8- इच्छा पत्र
9- दान
10- बंटवारा


वास्तविक स्थिति यह है कि जहां तक सामान्य तथा समृद्ध आत्मक दायित्व का संबंध है, वहां हिंदू हिंदू विधि से प्रकाशित नहीं होता। वरन दंड संहिता संविदा विधि अपकृत्य विधि तथा सिविल प्रक्रिया द्वारा प्रशासित होता है ।



अतः हम देखते हैं, कि हिंदू विधि अपने मूल रूप में तो लागू नहीं होती, फिर भी उसका आधार वेद, पुराण तथा स्मृतियां ही हैं। हिंदू विधि में अनेक संशोधन एवं परिवर्तन द्वारा उसका मूल स्वरूप बदलकर उसे निम्न लिखित रूप में न्यायालयों में प्रयोग किया जा रहा है।

 

हिंदू विधि किन पर लागू होती हैं



1- विशेष विवाह अधिनियम 1954

2- हिंदू विवाह अधिनियम 1955

3- हिंदू आवश्यकता तथा संरक्षकता अधिनियम 1956

4- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956

5- हिंदू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956।


इसे हिंदुओं की व्यैक्तिक विधि भी कहा गया है। क्योंकि यहां हिंदू विधि केवल विवाह, गोद, बटवारा उत्तराधिकार तथा संपत्ति संबंधी विषयों पर केवल हिंदुओं पर लागू होती है, अन्य किसी धर्म के अनुयायी लोगों पर नहीं।

 

यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, कि हिंदू विधि किन पर लागू होती है। प्राचीन विचार के अनुसार हिंदू विधि केवल उन्हीं व्यक्तियों पर लागू होती है, जो द्रढ़ रूप से धर्मशास्त्र को मानने वाले हैं। परंतु रानी भगवान कुआँरि बनाम जे० सी० बोरा के बाद में यह भी निर्धारित किया गया है, कि कोई भी हिंदू व्यक्ति केवल इसीलिए हिंदू धर्म से शासित नहीं होगा, कि वह कठोर शास्त्र धर्म के नियमों को नहीं मानता है, इसके मुख्य सिद्धांतों के पालन से विमुख है। 

 

 

           हिंदू विवाह अधिनियम 1955 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 हिंदू आवश्यकता और संस्था अधिनियम तथा हिंदू दत्तक ग्रहण तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 के दिए गए। हिंदू शब्द की परिभाषा का अवलोकन करने के उपरांत इस अधिनियम के अनुसार –

 

1 -कोई भी व्यक्ति जिसका हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख्ख धर्म में परिवर्तन हुआ हो। 

 

2- कोई भी बालक चाहे औरस या जारज हो जिसके दोनों माता पिता धर्म के हिंदू बौद्ध, जैन या सिख्ख हों। 

 

3- कोई भी बालक चाहे और औरस या राजस हो, जिसके माता-पिता में से कोई एक धर्म से हिंदू बौद्ध ,जैन या सिख्ख हो, और जिसका पालन पोषण उस अनुसूचित जाति समुदाय समूह या पारिवारिक के सदस्य के रूप में किया गया हो, जिसका सदस्य वह माता-पिता है, या था। 

 

4- कोई भी व्यक्ति जो धर्म से मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी  ना हो उन पर भी हिंदू विधि लागू होती हैं। 

 

5- उन अवैध संतानों पर भी हिंदू विधि लागू होती है, जिनके माता-पिता हिंदू थे। 

 

6- वे अवैध संताने भी हिंदू विधि से शासित हैं, जो हिंदू मां और इसाई बाप के संभोग से पैदा हुई है, किंतु उनका पालन पोषण हिंदुओं जैसा हुआ है। 

 

7- वीर शैव, लिंगायत, ब्रह्म समाज, आर्य समाज व आर्य समाज के अनुयायी पर भी हिंदू विधि लागू है। 

 

 

8- नायर जाति की हिंदू चलाने वाली लड़कियां जो इस्लाम धर्म में परिवर्तित हो गई हैं, और जहां लड़की को उनके पितामह व दादी ने लेकर हिंदू जैसा पालन पोषण किया है, उन पर भी हिंदू विधि लागू होती है। 

 

9- बौद्ध, जैन व सिख्खों व नंबूदरी ब्राह्मण पर भी हिंदू विधि लागू होती है। 

 

10-  जन्म से या धर्म से हिंदू हो, और अन्य हिंदू भी जो किसी भी मत या रूप में हिंदू हो जैसे ब्राह्मण व आर्य समाजी आदि। 

 

      अभी कुछ समय पूर्व पारित किए गए कुछ अधिनियम के अनुसार निम्न व्यक्तियों को हिंदू माना गया हो- 

 

 क-  ऐसा कोई बालक चाहे वह औरस  या जारज जिसके माता-पिता में से एक धर्म से हिंदू बौद्ध, जैन या सिख्ख है, और उनका पालन पोषण ऐसे माता पिता के परिवार वर्ग समुदाय या कुटुंब में किया गया है। 

 

ख- कोई ऐसा बालक चाहे वह औरस या जारज जिसके माता-पिता दोनों धर्म से हिंदू बौद्ध, जैन या सिख्ख हैं। 

 

 

ग- ऐसा कोई बालक जो चाहे औरस हो या जारज जिसके माता-पिता धर्म से हिंदू बौद्ध जैन तथा सिख हो। 

 

घ- ऐसा कोई व्यक्ति जिसमें हिंदू बौद्ध जैन या सिख धर्म स्वीकार कर लिया है।

 

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