क्या पढ़ी लिखी पत्नी को मेंटेनेंस नही मिलेगा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फ़ैसला

क्या पढ़ी लिखी पत्नी को मेंटेनेंस नही मिलेगा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फ़ैसला 


क्या पढ़ी लिखी पत्नी को मेंटेनेंस नही मिलेगा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फ़ैसला

याचिकाकर्ता, एक पति ने, आपराधिक विविध आवेदन संख्या 198/2013 में प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय, भावनगर द्वारा पारित दिनांक 17 दिसंबर, 2014 के आदेश को चुनौती दी थी । 

माननीय न्यायमूर्ति प्रेम नारायण सिंह ने इस मामले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 का उद्देश्य उन महिलाओं की मदद करना है जो आर्थिक रूप से गरीब हैं और अपना भरण-पोषण खुद नहीं कर सकती हैं और किन्हीं कारणों से उन्होंने अपने ससुराल को छोड़ दिया है । 

यह पता लगाना न्यायमूर्ति का काम होगा कि उस महिला को कितना निर्वाह भत्ता मिलना चाहिए, पत्नी के जीवन निर्वाह के लिए क्या आवश्यक है, जो न तो बहुत उच्च वर्ग की हो और न ही गरीब हो, परिवार की आर्थिक स्थिति किस प्रकार की है, यह देखना सबसे महत्वपूर्ण है।

मामला


इस इस केस में याचिका करता मोहम्मद नदीम ने फैमिली कोर्ट एक्ट 1984 के Sec 19(4) के तहत फैमिली कोर्ट ने उसे प्रति माह 10 हजार रूपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।

इस रिवीजन पिटिशन में पति ने कहा कि उसकी पत्नी बा है हर महीने 28000 रुपए कमाती है और वह ₹20000 कमाता है। और शादी के बाद पत्नी सिर्फ 18 महीने ही साथ रही थी इस वजह से उसे गुजारा भत्ता नहीं मिलना चाहिए।
यहां पर कोर्ट में निहारिका घोष बनाम शंकर घोष मामले का जिक्र किया गया जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था की पत्नी तब पति से गुजारा भत्ता नही मांग सकती जब वो कमाती हो।

और पत्नी ने कोर्ट में अपनी सफाई में कहा की कल्याण डे चौधरी बनाम रीता दे चौधरी केस में सुप्रीम कोर्टने अपना अहम फैसला सुनाते हुए कहा था की पत्नी को पति की कमाई का 25% गुजारा भत्ता मिलना चाहिए।

हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा की पत्नी का हाईली एजुकेटेड यह सुनिश्चित नहीं करता कि वह खुद को मेंटेन कर सकती है। इस केस में पत्नी पहले नौकरी करती थी लेकिन अब नहीं करती । और पति की इनकम ₹40000 आंकी गई ।

इसीलिए अपने अहम फैसले में हाई कोर्ट ने कहा की पत्नी पढ़ी लिखी है, इसका मतलब यह नहीं कि वह मेंटेनेंस पानी की हकदार नहीं है। जस्टिस प्रेम नारायण सिंह की बेंच ने पत्नी को 10 हजार गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के फैसले को सही बताया और पति की याचिका को खारिज कर दिया ।


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