किसी की Audio Recording Court में पेश नही कर सकते

किसी की Audio Recording Court में पेश नही कर सकते







शामिल कानूनी मुद्दे इस मामले में प्राथमिक कानूनी मुद्दा यह था कि क्या गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई बातचीत को वैवाहिक विवाद में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस तरह की रिकॉर्डिंग भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, जो गोपनीयता के अधिकार की गारंटी देता है। इस तर्क का समर्थन इस तरह के उदाहरणों से हुआ:

पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1997): इस मामले ने मौलिक अधिकार के रूप में गोपनीयता के महत्व पर जोर दिया।

आशा लता सोनी बनाम दुर्गेश सोनी (2023): वैवाहिक विवादों में गोपनीयता पर रुख को मजबूत किया।

नेहा बनाम विभोर गर्ग (2021): गोपनीयता उल्लंघन के माध्यम से प्राप्त साक्ष्य की अस्वीकार्यता पर प्रकाश डाला।

केस विवरण – 


केस संख्या: विविध याचिका संख्या 1422/2024 
– पीठ: न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह 
– वकील: याचिकाकर्ता की ओर से ज्योत्सना राठौर, 


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