सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बैंकों को क्रेडिट कार्ड बकाया पर 30% से अधिक ब्याज दर वसूलने की अनुमति दी।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बैंकों को क्रेडिट कार्ड बकाया पर 30% से अधिक ब्याज दर वसूलने की अनुमति दी। 


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बैंकों को क्रेडिट कार्ड बकाया पर 30% से अधिक ब्याज दर वसूलने की अनुमति दी।


यह फैसला देश में क्रेडिट कार्ड उद्योग और ग्राहकों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।


आइए जानते है क्या है मामला?


पृष्ठभूमि:

2008 में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड बकाया पर 30% से अधिक ब्याज वसूलने को "अनुचित व्यापार प्रथा" करार दिया था।

इस निर्णय के खिलाफ सिटीबैंक, एचएसबीसी, अमेरिकन एक्सप्रेस, और स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसे बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

बैंकों ने तर्क दिया कि ब्याज दरें आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

2023 में, सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ (न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा) ने एनसीडीआरसी के 2008 के आदेश को खारिज करते हुए कहा:


क्रेडिट कार्ड शर्तें पारदर्शी हैं।

ग्राहक शर्तों से सहमत होकर क्रेडिट कार्ड लेते हैं।

आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यह अनुचित व्यापार प्रथा नहीं है।


सुप्रीम कोर्ट का तर्क:

आरबीआई की भूमिका:


ब्याज दरों और क्रेडिट कार्ड नीतियों को आरबीआई द्वारा नियंत्रित और मॉनिटर किया जाता है।

कोई भी बैंक आरबीआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं कर रहा है।

ग्राहकों की सहमति:


क्रेडिट कार्ड जारी करने के समय ग्राहक को शर्तें बताई जाती हैं।

ग्राहक जब इन शर्तों को स्वीकार करते हैं, तो उन्हें ब्याज दरों की जानकारी होती है।


संधानिक अधिकार:


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनसीडीआरसी को बैंकों और ग्राहकों के बीच सहमति से बनी शर्तों को बदलने का अधिकार नहीं है।


फैसले के बाद संभावित प्रभाव क्या होंगे


ग्राहकों पर प्रभाव:


समय पर भुगतान न करने वाले ग्राहकों के लिए यह वित्तीय बोझ बढ़ा सकता है।

30% से अधिक ब्याज दरें कर्ज के जाल को बढ़ा सकती हैं।


बैंकों के लिए लाभ:


बैंकों को अब अधिक स्पष्टता मिली है और वे उच्च ब्याज दरें वसूलने के लिए अधिक सक्षम हो गए हैं।


ग्राहक जागरूकता की आवश्यकता:


ग्राहकों को अपने क्रेडिट कार्ड के भुगतान समय पर करना होगा ताकि वे भारी ब्याज दरों से बच सकें।


सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बैंकों और ग्राहकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। बैंकों को उच्च ब्याज दरें वसूलने की अनुमति मिलने से उनका राजस्व बढ़ सकता है, लेकिन ग्राहकों के लिए यह एक चेतावनी भी है कि उन्हें अपने क्रेडिट कार्ड खर्चों का प्रबंधन बेहतर तरीके से करना होगा।


ग्राहकों को इस फैसले के बाद अधिक सावधानी बरतने और वित्तीय अनुशासन अपनाने की जरूरत है।

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